यहाँ धंस रहे मकान, दरक रही दीवार, जमीन से फूट रही पानी की धार

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देहरादून:जोशीमठ शहर पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. भू-धंसाव के कारण शहर में दरारें और चौड़ी होने के कारण स्थितियां गंभीर दिखाई देने लगी हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आपदा सचिव रणजीत सिन्हा स्वयं विशेषज्ञों की टीम लेकर गुरुवार जोशीमठ के लिए रवाना होंगे।


यह टीम जोशीमठ में 2 दिनों तक शहर में भू-धंसाव के हर पहलुओं का अध्ययन करेगी. साथ ही आम लोगों से भी बात कर समस्या को जानने की कोशिश करेगी. वहीं, उत्तराखंड बीजेपी ने जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन और नुकसान का आकलन करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया है।


जोशीमठ में दरारें बढ़ने से हालात और भी खराब हो गए हैं. दरारों से पानी का रिसाव भी अब तेज हो गया है. जिसकी वजह से शहर के कई मकान जमींदोज होने की कगार पर आ गए हैं।

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स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सचिव आपदा रणजीत की अगुवाई में अब विशेषज्ञों की टीम जोशीमठ के कल लिए रवाना होने जा रही है. जो भू-धंसाव के कारणों का अध्ययन करेगी।

गौरतलब है कि जोशीमठ में पिछले लगातार कई दिनों से भूस्खलन और भू-धंसाव की समस्या सामने आ रही है. जिसको लेकर पूर्व में भी एक विशेषज्ञों की टीम स्थितियों का जायजा लेकर शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, लेकिन अब हालात और भी विकट होते दिखाई दे रहे हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि जोशीमठ शहर में विभिन्न जगहों पर पड़ी दरारों का आकार और बड़ा हो गया है और इससे पानी का रिसाव भी तेज हुआ है।

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शायद यही कारण है कि जोशीमठ शहर पर बढ़ते खतरे को देखते हुए खुद आपदा सचिव रणजीत सिन्हा विशेषज्ञों की टीम लेकर जोशीमठ पहुंच रहे हैं. तय कार्यक्रम के अनुसार रंजीत सिन्हा गुरुवार को 2 दिन के लिए विशेषज्ञों के साथ जोशीमठ में ही ठहरेंगे. इस दौरान विभिन्न संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जोशीमठ शहर में भू-धंसाव को लेकर अध्ययन करेंगे.

हालांकि, पहले शहर में ड्रेनेज सिस्टम खराब होने को एक बड़ी वजह माना गया था, लेकिन अब जिस तरह से पानी का रिसाव तमाम दरारों से हो रहा है, उसके बाद तमाम विकास कार्यों, प्राकृतिक बदलावों और पहाड़ पर बढ़ते दबाव का भी विशेषज्ञ अध्ययन करने वाले हैं. गुरुवार को सचिव आपदा के साथ आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञ, वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ और रिसर्च से जुड़े दूसरे संस्थानों के विशेषज्ञ भी जोशीमठ जाएंगे.

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बता दें कि करीब 550 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं, जिसकी वजह से स्थानीय लोग सड़कों पर हैं. उधर शासन ने स्थानीय लोगों से विस्थापन को लेकर सुझाव मांगे हैं. जिलाधिकारी चमोली इस मामले में लगातार शासन को रिपोर्ट भेज रहे हैं और इसी के आधार पर जोशीमठ में आगामी कार्यों की रुपरेखा भी तय की जा रही है.

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