ज्वालापुर में कबीर म्युचअल बेनिफिट लिमिटेड मुस्लिम फंड के नाम से ब्याज रहित लेन-देन करने वाले हजारों लोग धोखाधड़ी का शिकार हो गए। फंड संचालक करोड़ों रुपये लेकर भूमिगत हो गया।
आरोपित के फरार होने की सूचना पर बड़ी संख्या में खाता धारकों ने पहले मुस्लिम फंड कार्यालय और फिर ज्वालापुर कोतवाली पहुंचकर हंगामा काटा। पुलिस ने आरोपित अब्दुल रज्जाक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। शुरुआती छानबीन में करीब 22 हजार खाते संचालित होने की जानकारी मिली है। पुलिस ने दफ्तर का ताला तोड़कर उपकरण कब्जे में ले लिए। साथ ही उसके दोनों बैंक खाते भी फ्रीज करा दिए हैं।
पुलिस के मुताबिक, ज्वालापुर मेन रोड पर करीब 20 साल से कबीर म्युचअल बेनिफिट लिमिटेड मुस्लिम फंड के नाम से ब्याज रहित मिनी बैंक चला आ रहा है। संस्था के प्रतिनिधि रोजाना घर और दुकानों पर जाकर रकम इकट्ठा करते और रसीद देकर पासबुक में एंट्री कर देते थे। जरूरत पड़ने पर दफ्तर में पासबुक दिखाकर रकम निकाल ली जाती थी। बताया जा रहा है कि मुस्लिम फंड के कर्मचारी दो दिन से खाताधारकों से पैसे लेने नहीं पहुंचे। खाताधारक दफ्तर पहुंचे तो ताला लगा मिला।
रविवार की सुबह मुस्लिम फंड संचालक अब्दुल रज्जाक निवासी सराय के फरार होने की सूचना में खाताधारकों में हड़कंप मच गया। एक दूसरे से जानकारी मिलने पर खाताधारकों का हुजूम इकट्ठा हो गया। मुस्लिम फंड के बाद लोग नजदीक ही स्थित ज्वालापुर कोतवाली पहुंचने लगे। भीड़ बढ़ने पर हंगामा होने लगा।
ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी ने पीड़ितों को समझा-बुझाकर शांत कराते हुए आला अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी दी। जिसके बाद वसीम राव निवासी इब्राहिमपुर पथरी की तहरीर पर आरोपित अब्दुल रज्जाक निवासी सराय ज्वालापुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
कोतवाल आरके सकलानी ने एक टीम को साथ लेकर दफ्तर से उपकरण कब्जे में ले लिए। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि आरोपित अब्दुल रज्जाक व मुस्लिम फंड के बैंक आफ बड़ौदा व इंडियन ओवरसीज बैंक खातों को फ्रीज करा दिया गया है। एक टीम आरोपित की तलाश में जुटी है।
ऐसे हो रहा था मुस्लिम फंड का संचालन
मुस्लिम धर्म में ब्याज लेना और देना हराम बताया गया है। मुस्लिम फंड का संचालन ब्याज रहित तरीके से किया जा रहा था। इसलिए बड़ी संख्या में मुस्लिम व अन्य खाताधारक अपनी जमापूंजी मुस्लिम फंड में जमा करते आ रहे थे। आमजन को मुस्लिम फंड से दो फायदे थे। पहला यह कि उन्हें पैसे जमा कराने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं थी।
मुस्लिम फंड का प्रतिनिधि रोजाना उनके घर या दुकान पर पैसे लेने पहुंचता था। दूसरा फायदा यह था कि वह 20 से रुपये लेकर 50, 100 रुपये रोजाना भी जमा करा सकते थे। जबकि बैंक में रोजाना जाकर इतनी छोटी रकम आमतौर पर लोग जमा नहीं करवाते हैं।
दूसरा धार्मिक लिहाज से ब्याज रहित लेन-देन चलता आ रहा था। हालांकि, फंड में जमा होने वाला खातेधारकों का पैसा बाद में बैंक में ही जमा होता था। इस रकम से मिलने वाले ब्याज को फंड में काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर अन्य खर्चों पर लगाया जाता था।
मुस्लिम फंड संचालक के फरार होने की खबर रविवार की सुबह जंगल की आग की तरह ज्वालापुर व आस-पास के क्षेत्र में फैल गई। बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा, दुकानदार आनन-फानन में मुस्लिम फंड दफ्तर पहुंचे। एक झटके में मेहनत गाढ़ी कमाई छिन जाने से उनका तो जैसे पूरा भविष्य ही अंधेरे में चल गया। पीड़ितों में ज्यादातर लोग मजदूरी या मामूली कारोबार करने वाले हैं।
किसी ने अपनी बेटी की शादी के लिए तो किसी ने घर बनवाने के लिए रोजाना होने वाली आमदनी से पाई-पाई निकालकर रकम जमा की हुई थी। रविवार को दिन भर कई महिलाएं आंखों में आंसू और हाथ में सुबूत के तौर पर पासबुक लेकर भटकती रही।
पीड़ितों के कोतवाली पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। रात तक इस मामले में 20 से ज्यादा तहरीरें पुलिस को मिल गई। कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी ने बताया कि बाकी तहरीरों को भी मुकदमे में मर्ज कर लिया जाएगा।