दिसंबर और जनवरी में हाड कंपा देने वाली ठंड पड़ती है खास तौर पर पहाड़ी इलाकों में तो ठिठुरन से हालत खराब हो जाती है ऐशे में लोग रुम हीटर से लेकर अलाव का सहारा लेते हैं। कई लोग तो रात को कमरे को गर्म करने के लिए अलाव रख देते हैं जिसके गंभीर परिणाम देखने को मिले हैं। दिसंबर और जनवरी में रूम हीटर बेहद जरुरी होता है। आप इस ठंड से बचने के लिए भट्टी या रूम हीटर का इस्तेमाल करते हैं और उसके बाद सुकून से सो जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये रूम हीटर आपकी सेहत को कई तरह के नुक्सान पंहुचा सकता है. दरअसल बाजार में कई तरह के हीटर मिलते हैं और उनके काम करने का तरीका भी अलग-अलग होता है. आयरन रॉड वाले हीटर से लेकर गर्म हवा फेंकने वाले ब्लोअर या ऑयल हीटर, ये सभी अलग-अलग तरीके से काम करते हैं. सर्दियों में हर कोई रूम हीटर का भरपूर इस्तेमाल करता है लेकिन इनको इस्तेमाल करने से पहले इनके साइड इफेक्ट्स को भी जान लेना चाहिए.
कंजक्टिवाइटिस
हमारी आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील अंग हैं। इसलिए आंखों को खास देखभाल करना चाहिए. आंखों को हेल्दी रहने के लिए उनका हर वक्त गीला रहना बहुत जरूरी होता है. लेकिन जब आप लगातार हीटर के सामने बैठते हैं तो आपकी आखें और आखें की नसे सूख जाती हैं. जिससे आखों में जलन होती है. बार-बार आखों को ऐसे में छूने से कंजेस्टिव इट्स हो सकता है.
अस्थमा
अगर आपको अस्थमा है या रेस्पिरेटरी एलर्जी या कोई भी सास से जुडी बीमारी तो आपको रूम हीटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. हीटर न सिर्फ गर्म हवा देती है बल्कि गैस भी निकालती है. जो खासी और आखों में जलन का कारण बनता है. सूखी हवा नाक और विंड पाइप में इरिटेशन, और शरीर में खुजली का कारन बनती हैं.
ड्राई स्किन या रैशेज
रूम हीटर इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे कमरे के अंदर मौजूद हवा से नमी खत्म हो जाती है. जिन लोगों की स्किन सेंसिटिव होती है, उन्हें रूम हीटर में ज्यादा देर रहने से ड्राई स्किन की प्रॉब्लम हो सकती है. जिससे त्वचा पर खुजली और रैशेज हो सकते हैं.
फ्लू व सर्दी-जुकाम
रूम हीटर का तापमान ज्यादा रहने के कारण इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ सकता है. क्योंकि, जब आप हीटर वाले कमरे से निकलकर बाहर के ठंडे तापमान में जाते हैं, तो इम्यून सिस्टम को संतुलन बनाने में समय लगता है. जिस कारण फ्लू या सर्दी-जुकाम जैसी समस्या हो सकती है. इससे छोटे बच्चों में हाइपरथर्मिया की समस्या भी हो सकती है. जो कि जानलेवा साबित हो सकती है.
कमरे की दूषित हवा
रूम हीटर कई प्रकार के हो सकते हैं. इसमें कुछ हीटर ऐसे भी होते हैं, जो कमरे की हवा को फिल्टर नहीं कर पाते हैं. ऐसे में रूम हीटर से निकलने वाला कार्बन मोनोक्साइड कमरे की हवा दूषित कर सकता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. यह स्थिति अस्थमा या सीओपीडी के रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
दुर्घटना का खतरा
जो रूम हीटर नॉन-मैटेलिक केस में आते हैं, वह अपने आसपास की मटेरियल या सतह को काफी ज्यादा गर्म कर देते हैं. अगर, ऐसे रूम हीटर ज्यादा देर तक इस्तेमाल किए जाएं, तो आसपास मौजूद कपड़ा, प्लास्टिक आदि को जला सकते हैं. वहीं, इन्हें छूने पर जलने का भी खतरा हो सकता है.
हीटर का इस्तेमाल करें इन बातों का ख्याल जरूर रखें
अगर आप हीटर खरीद रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप ऑयल हीटर लें.
कभी भी रात भर हीटर ना चलाएं. रात भर हीटर चलाने से आपकी स्किन ड्राई और सास में दिक्कत हो सकती है. सोने से पहले 1 या 2 घंटे पहले हीटर बंद करके रूम का तापमान गर्म करले.
हीटर के पास एक बर्तन या कटोरी में पानी भरकर रख दें. इससे हवा में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है और हवा में ड्राइनेस कम होगी.
जब भी आखों में हीटर से जलन हो तो तुरंत जाकर आखों में ठंडा पानी डालें. अस्थमा या हार्ट संबंधी समस्या हो तो कम से कम हीटर का इस्तेमाल करें. जब भी रूम ज्यादा गर्म हो जाये तब कोई खिड़की या दरवाज़ा खोल क्र रख दें ताकि तापमान नॉर्मल हो जाए.