वह सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात था। इधर उसके घर की सुरक्षा करने के बजाय यहाँ के प्रशासन ने उसके घर को जेसीबी से ढहा दिया। कुछ ही समय पहले अपने छुट्टी पूरी कर घर से ड्यूटी पर वापस जाने वाले इस सेना के जवान ने कल्पना भी नहीं की होगी कि दोबारा जब वापस आऊंगा तो जिस घर में ड्यूटी से आकर कभी सूकून महसूस करता था से अपने घर में अपना बैग सामान रखते थे जिस घर के तांबे के गागर से ठंडा पानी मां अपने हाथ से लेकर पिलाती थी। आज जगह तो वही है,
लेकिन न वो घर है और ना घर का आंगन बस अगर है तो सिर्फ बिखरा मलवा है चारों और ..न सामान रखने की जगह न ही मां के हाथों का पानी मिला अगर मिला तो सिर्फ उजड़ा घर उजड़ा आंगन..आशीष आज आते ही सिर्फ यही सवाल कर रहा है कि मै अपना बैग कहां रखूं कहां मेरी रात कटेगी कहां अपनी मां को रखूं..आंखों में आंसू अपने घर को बार बार देख रहे आशीष भाई को देखकर हृदय बहुत दुखी है।ये हैं आशीष हटवाल भारतीय सेना मे सेवा दे रहे सीमा पर डटे रहे अचानक घर से फोन गया कि आपका घर कंपनी ने उजाड़ दिया..भाई ने सब कुछ छोड़कर 66 वर्षीय मां की चिंता सताने लगी..घर में लडके की शादी की तैयारी चल रही थी जेवर ,पैसे व अन्य आवश्यक सामग्री घर के अंदर थी सब कुछ कहां है कुछ नहीं पता..अपना घर तो उजड़ा गया अब गांव में दर दर की ठोकरें खा रही इनकी मां आज भी न्याय की आस लगाए बैठी है…