हल्दूचौड़ में भी गणेश महोत्सव कमेटी हल्दूचौड़ गोलागेट द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।

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गणेश महोत्सव को क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन से यह त्यौहार मनाया जाता है इस दिन गणेश जी की मूर्ति को घर में लाकर उसका मंत्रों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर बड़े उत्साह से विधि विधान से पंडितों के मंत्रोचार द्वारा गणेश जी की पूजा की जाती है वैसे तो यह त्यौहार 10 दिन तक मनाया जाता है 11 वे दिन गणेश जी को विसर्जन किया जाता है कहीं-कहीं इसको तीन दिन 5 दिन तक मनाते हैं पहले इस महोत्सव को महाराष्ट्र में मनाया जाता था धीरे धीरे पूरे भारत में इस को मनाया जाने लगा गणेश जी को हिंदू धार्मिक आयोजनों में सर्वप्रथम पूजा जाता है

गणेश चतुर्थी के पर्व पर पूजा प्रारंभ होने की सही तारीख किसी को ज्ञात नहीं है, हालांकि इतिहास के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि गणेश चतुर्थी 1630-1680 के दौरान छत्रपति शिवाजी (मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय, यह गणेशोत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाना शुरू किया गया था।

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पेशवाओं के अंत के बाद, यह एक पारिवारिक उत्सव बना रहा, यह 1893 में बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक (एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक) द्वारा पुनर्जीवित किया गया।

गणेश चतुर्थी एक बड़ी तैयारी के साथ एक वार्षिक घरेलू त्योहार के रूप में हिंदू लोगों द्वारा मनाना शुरू किया गया था। सामान्यतः यह ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच संघर्ष को हटाने के साथ ही लोगों के बीच एकता लाने के लिए एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना आरंभ किया गया था।

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महाराष्ट्र में लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान बहुत साहस और राष्ट्रवादी उत्साह के साथ अंग्रेजों के क्रूर व्यवहार से मुक्त होने के लिए मनाना शुरु किया था। गणेश विसर्जन की रस्म बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा स्थापित की गई थी।

धीरे-धीरे लोगों द्वारा यह उत्सव परिवार के समारोह के बजाय समुदाय की भागीदारी के माध्यम से मनाना शुरू किया गया। समाज और समुदाय के लोग इस पर्व को एक साथ सामुदायिक त्योहार के रुप में मनाने के लिए बौद्धिक भाषण, कविता, नृत्य, भक्ति गीत, नाटक, संगीत समारोहों, लोक नृत्य करना, आदि क्रियाओं को सामूहिक रुप से करते हैं। लोग तारीख से पहले एक साथ मिलते हैं और उत्सव मनाने के साथ ही साथ यह भी तय करते है कि इतनी बड़ी भीड़ को कैसे नियंत्रित करना है।

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि गणेश जी का जन्म माघ माह में चतुर्थी (उज्ज्वल पखवाड़े के चौथे दिन) हुआ था। तब से, भगवान गणेश के जन्म की तारीख गणेश चतुर्थी के रूप में मनानी शुरू की गई। आजकल, यह त्योहार हिंदू एवं बहुत से अन्य समुदाय के लोगों द्वारा पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

इस अवसर पर कमेटी अध्यक्ष इंदर सिंह बिष्ट , उपाध्यक्ष बी डी खोलिया, सचिव विनोद पांडे , उपसचिव संजय भाकुनी, कोषाध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट, इसके अलावा संरक्षक धर्मानंद खोलिया, राजेंद्र सिंह बिष्ट, हेमवती नंदन दुर्गापाल, गोपाल दत्त खोलिया, उमेश शर्मा, एवं कमेटी के सदस्य नंदा बल्लभ नैनवाल, हरीश चंद्र पांडे, विनोद सिंह, धर्मानंद पांडे, नीरज भट्ट, भोलादत्त दुमका, प्रकाश पांडे, विनोद आर्या, गुलशन पांडे, प्रताप राम आर्या सहित दर्जनों क्षेत्र वासी उपस्थित थे ।

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