उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और ऋषिकेश से विधयाक प्रेमचन्द्र अग्रवाल द्वारा चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से रुपये निकालकर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से लोगो को बांटने के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई करते हुए याची से कहा है कि वो 24 घण्टे के भीतर रजिस्ट्री द्वारा लगाई गई आपत्तियों को दुरस्त करें।
मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी कनक धनई ने चुनाव याचिका दायर कर कहा है कि प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से लगभग पाँच करोड़ रुपया निकालकर लोगों को डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बांटा है। इसकी स्वीकृति विधानसभा सचिव ने दी है। ये डिमांड ड्राफ्ट, चार हजार नौ सौ पिछत्तर रुपये के बनाए गए हैं, जिनमें 3 और 9 फरवरी की तिथि डाली गई है। ये डिमांड ड्राफ्ट उन्होंने, सबूतों के तौर पर अपनी याचिका में लगाये हैं। इस मामले की जाँच की जाय और जाँच सही पाए जाने पर उनका चुनाव प्रमाण पत्र निरस्त किया जाय।
याचिकाकर्ता ने अपनी चुनाव याचिका में राज्य सरकार, चुनाव आयोग भारत सरकार, राज्य चुनाव आयोग, स्पीकर लेजिस्लेटिव असम्बली, विधानसभा भवन देहरादून, जिलाधिकारी देहरादून, एस.डी.एम.ऋषिकेश, जिला कोषाधिकारी और प्रेमचन्द्र अग्रवाल को पक्षकार बनाया है।
मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याची से कहा है कि वो 24 घण्टे के भीतर रजिस्ट्री द्वारा लगाई गई आपत्तियों का निस्तारण कर लें।