उत्तराखंड में अनुकूल निवेश माहौल का लाभ उठाने के लिए देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घराने आगे आ रहे हैं। औद्योगीकरण की रफ्तार बढ़ने से न केवल राज्य में साल-दर साल पंजी निवेश बढ़ रहा है। बल्कि रोजगार के द्वार भी खुल रहे हैं।
पिछले पांच साल के आंकड़ों पर ही नजर दौड़ाई जाए तो राज्य में निवेश और रोजगार सृजन की गति लगभग दोगुना हो चुकी है। बीते नवंबर 2023 का वैश्विक निवेशक सम्मेलन में जो निवेश को लेकर एमओयू हुए हैं। यदि दो से तील साल के बीच सभी 3.56 लाख करोड़ के एमओयू की ग्राउंडिंग हो जाती है तो राज्य में करीब चार लाख से अधिक रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे।
पिछले 23 वर्षों से स्थापित एमएसएमई, मध्यम उद्योग एवं बडी इकाइयों में अभी तक 5,73528 को रोजगार मिला हुआ है। सरकार सेवा क्षेत्र के बाद उत्तराखंड में औद्योगिक क्षेत्र सबसे अधिक नौकरी सृजित करने वाला क्षेत्र है।
प्रदेश के सबसे बड़े वैश्विक निवेशक सम्मेलन से जहां दुनियाभर के नये उद्योग यहां स्थापित हो रहे हैं, वहीं पूर्व से स्थापित उद्योगों को विस्तार के लिए नये औद्योगिक क्षेत्र भी मिलेंगे क्योंकि सरकार ने छह हजार एकड लैंड बैंक बनने की योजना भी तैयार की गई है।
घर के पास मिलेगा रोजगार थमेगा पलायन
राज्य में अक्षय ऊर्जा, हर्बल एवं एरोमैटिक्स, उद्यानिकी और फूलों की खेती जैसे ग्रीन उद्योग स्थापित होने की कगार पर हैं इससे आने वाले समय में न केवल उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण काे बल मिलेगा, बल्कि पहाड़ों से पलायन थमने में भी यह उद्योग सहायक सिद्ध होंगे। युवाओं को अपने घर के नजदीक ही रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
इन जटिल व्यवस्थाओं का सरकार ने खोजा सरल रास्ता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में उद्योगों के लाइसेंस आदि के अनुमोदनों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था में सुधार किया है साथ ही व्यवसाय की स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक सभी स्वीकृतियों के लिए वन स्टाप शाप व्यवस्था भी शुरु की है। एमएसएमई नीति 2023 से जहां पांच करोड़ रुपये तक के उद्योगों को लगाने में सरकार की ओर से भरपूर सहयोग मिल रहा है वहीं स्टार्टअप नीति-2023 से युवा उद्यमियों को आगे आने का मौका मिल रहा है। अभी तक उत्तराखंड में 130 से अधिक स्टार्टअप हैं।
निवेशक सम्मेलन के एमओयू में से अब तक 71 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में नवंबर 2023 में वैश्विक निवेशक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन से पहले मुख्यमंत्री ने लंदन, बर्मिघम, दुबई, आबुधाबी, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरु, अहमदाबाद के अलावा हरिद्वार एवं रुद्रपुर में रोड शो किए गए। जिसमें राज्य सरकार को बड़ी कामयाबी मिली।
प्रदेश सरकार के साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के औद्योगिक घराने ने 3.56 लाख करोड़ के निवेश के लिए एमओयू किए। निवेशक सम्मेलन के तीन महीने के भीतर अभी तक कुल निवेश राशि में से 71 हजार करोड़ रुपये की ग्राउंडिंग हो चुकी है। जिनसे आने वाले एक साल के भीतर एक लाख युवाओं को रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे।
अभी तक राज्य में यह है औद्योगिक निवेश की स्थिति
उद्योग 83,382
निवेश 72,157.94 करोड़
रोजगार 5,73528
पिछले पांच सालों में औद्योगिकीकरण ऐसे बढ़ा
वर्ष उद्योग रोजगार निवेश
2018-19 3640 18811 793.506
2019-20 4163 255150 873.160
2020-21 4269 22157 846.33
2021-22 5073 35990 871.500
2022- 23 5140 36350 952.22
2023- 24 4943 33244 1100.32
(31 जनवरी 2024 तक)
इन सेक्टर में रोजगार के सबसे अधिक मांग
पर्यटन, शिक्षा, अक्षय ऊर्जा, हर्बल एवं एरोमैटिक्स,उद्यानिकी और फूलों की खेती, जैव प्रौद्योगिक, औषधी पौधों की खेती, फिल्म निर्माण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, आयुष एपं वैलनेस, सूचना प्रौद्योगिक, आटो मोबाइल।
उत्तराखंड में निवेशकों को सरकार हर प्रकार की सुविधा मुहैया करने को लेकर प्रयासरत है। पिछले दो से तीन सालों में नये उद्योगों के स्थापित होने की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। इससे न केवल पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी हुई इससे रोजगार भी सृजित हुआ हे। बीते नवंबर 2023 में वैश्विक निवेशक सम्मेलन में साढ़े तीन लाख से अधिक के निवेश एमओयू हुए। जिनमें से करीब 71 हजार के एमओयू की ग्राउंडिंग भी हो चुकी है। इसमें एक लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। सरकार ने उद्योगपतियों को अपना ब्रांड एंबेस्डर माना है। इसलिए औद्योगिकरण को बढ़ाना देने के सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड
सरकार के समक्ष यह हैं औद्योगिक क्षेत्र की चुनौतियां
सेलाकुई, हरिद्वार व सितारगंज औद्योगिक क्षेत्र में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं होने से उत्पादन प्रभावित होता है हरिद्वार, देहरादून व उधम सिंह नगर जनपदों के औद्योगिकी क्षेत्र के संपर्क मार्गों में नालियां एवं नाले गंदगी से अट़े रहते हैं।
कई औद्योगिक क्षेत्रों में रात्रि के समय प्रकाश की व्यवस्था न होने से चोरी और लूट का खतरा बना रहता है।
औद्योगिक क्षेत्रों में महिला छात्रावास नहीं होने से महिलाओं को कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है
लंबे समय से औद्योगिक क्षेत्रों की कई सड़कें जर्जर पड़ी हैं इनकी सुध नहीं ली जा रही है।
औद्योगिक क्षेत्रों में पार्किंग नहीं होने से बड़े-बड़े ट्रक एवं ट्राले पूरे औद्योगिक क्षेत्र में जाम लगा रहे हैं।
औद्योगिक क्षेत्रों में सुबह एवं शाम के समय मजूदरों की भीड़ से जाम की स्थिति बनी रहती है।
औद्योगिक क्षेत्रों के मुख्य द्वारों पर सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से उद्योगों की सुरक्षा पुख्ता नहीं है।
सेलाकुई के मुख्य मार्ग पर बढ़ती यातायात समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है