उत्तराखंड में प्रावधानों का उल्लंघन करना हुई आम बात, राजस्व कर्मियों की हुए स्थानांतरण

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मा0 उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा पारित आदेशों एवं उत्तराखण्ड खनिज ( अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण निवारण) नियमावली 2021 के प्राविधानों का उल्लघंन उत्तराखंड में अब आम बात हो चुकी है। बिना अनुमति के उत्तराखण्ड की सभी नदियों में पोकलेण्ड व जेसीबी मशीन के प्रयोग से उत्तराखण्ड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण निवारण) नियमावली 2021 के नियम 14 (2) का जमकर उल्लंघन हो रहा है, जिसके अन्तर्गत पोकलैंड मशीनों एवं जेसीबी मशीनों को आए दिन खान अधिकारी एवं राजस्व अधिकारियों द्वारा सीज़ किया जाता है तथा लाखों रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। परंतु इसके बावजूद मालिकों द्वारा अपने रसूख और सांठगांठ का प्रयोग करके इन मशीनों को छुड़ा लिया जाता है तथा जुर्माना वसूली कि कोई रसीद भी सार्वजनिक नहीं की जाती है। अवैध खनन में लिप्त इन खनन माफियाओं के खिलाफ किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई भी कभी सार्वजनिक नहीं की जाती है। यह अवैध खनन माफिया अपने रसूख और धन बल का प्रयोग करते हुए अपने पोकलैंड मशीनों और जेसीबी को छुड़ाने में हमेशा कामयाब रहते हैं तथा दिन-रात उत्तराखंड की नदियों का सीना चीर कर अवैध खनन में करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे हैं। अगर विस्तार पूर्वक इस मामले में बात की जाये तो 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार के साथ पर्यटन के बाद उत्तराखंड में खनन (ज्यादातर अवैध) को दूसरा सबसे बड़ा पैसा कहा जाता है। यह बात सर्वविदित है सभी खनन माफिया चुनावी चंदा एकत्रित करते है और सभी राजनीतिक दलों में उनकी हिस्सेदारी है। हर वर्ष अवैध खनन के‌ भ्रष्टाचार में लिप्त लगभग 150-200 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्तराखण्ड के आला अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक पहुंचता हैं। जिसमें अवैध खनन पर नाममात्र की कार्यवाही करते हुए आला अधिकारी अपनी कुर्सी बचाते हुए अपने अधीनस्थ छोटे कर्मचारियों पर रसूखदारों और खनन माफियाओं के दबाव में स्थानांतरण जैसी कार्यवाही करते हुए छोटे कर्मियों को अप्रत्यक्ष रुप से खनन में सहयोग करने का दबाव भी बनाते हैं। अबकि अवैध खनन पर वैध कार्यवाही करने का मामला ऊधम सिंह नगर के किच्छा क्षेत्र से जुड़ा है जिसमें अवैध खनन में लिप्त जेसीबी को सीज करने वाले एक राजस्व कर्मी का स्थानांतरण रातों रात किच्छा क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। अब देखना यह है कि माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के निर्देशों एवं अवैध खनन परिवहन एवं भंडारण निवारण नियमावली 2021 के प्रावधानों का पालन कराने में उत्तराखंड सरकार कितनी इमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर पाती है या अवैध खनन इस प्रदेश की सभी नदियों में हमेशा की तरह हमेशा ऐसे ही चलता रहेगा।

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