आज हम आपको एक ऐसी स्टडी बताने जा रहें हैं जिसे पढ़ने के बाद आपका परेशान होना लाजमी है। क्या आप जानते हैं कि आप रोजाना अपनी डायट में प्लास्टिक ले रहें हैं। जाने अनजाने ये प्लास्टिक आप खुद ही खरीद कर ला रहें हैं और उसे अपने खाने में इस्तमाल भी कर रहें हैं। ये बात एक नई रिसर्च से सामने आई है। तो चलिए जानते है कि इस स्टडी में क्या दावे किए गए है? और क्यों ये सिचुएशन भारत के लिए अलार्मिंग है।
आमतौर पर खाने-पीने की चीजों के लिए अक्सर आप और हम ब्रैन्डेड सामान या यू कहें कि कंपनी के प्रोडक्टस इस्तमाल करने में भरोसा रखते है। कोई चीज खुले में मिले उसे प्रयोग करने की जगह हम पैक्ड प्रोडक्ट्स ही पंसद करते हैं। चीनी और नमक जैसी रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाली चीजों में भी हम ब्रांन्ड्स को ढूढ़ते है।
लेकिन अगर हम आपको ये बताए कि आप जिस भी कंपनी की चीनी या नमक खा रहे हो, फिर चाहें वो किसी बड़ी कंपनी का ही क्यों न हो, उन सभी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है। तो क्या आप विशवास करेंगे? हाल ही में एक स्टडी के मुताबिक हमारे देश में बिकने वाले सभी चीनी और नमक में प्लास्टिक के कण यानी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है।
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चीनी और नमक में है प्लास्टिक
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में ऑल मोस्ट सभी चीनी और नमक फिर चाहे वो खुले में बिक रही हो या फिर पैकेट में, उन सभी में प्लास्टिक के महीन कण यानी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। जिसका मतलब है कि चीनी और नमक खाकर हम रोज थोड़ा-थोड़ा प्लास्टिक खा रहे हैं। इस बात का खुलासा एक स्टडी में हुआ है।
microplastics in salt and sugar
स्टडी में हुआ खुलासा
थिंक टैंक टॉक्सिक्स लिंक ने ‘माइक्रोप्लास्टिक्स इन सॉल्ट एंड शुगर’ (Microplastics in Salt and Sugar) नाम से एक एक स्टडी रिपोर्ट रिलीज की है। इस स्टडी के मुताबिक बाजार में बिक रहे ऑल मोस्ट सभी ब्रांड के सुगर और साल्ट में माईक्रोप्लास्टिक मौजूद है। साथ ही ओयोडाइज्ड नमक में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा सबसे अधिक पाई गई है।
नमक और चीनी में मिली कितनी प्लास्टिक?
इस स्टडी के लिए 10 टाइप के नमक जैसे टेबल नमक, सेंदा नमक, समुद्री नमक आदि को लिया गया। तो वहीं चीनी के भी पांच टाइप बाजार और ऑनलाइन खरीदकर सेंपल के तौर पर रखे गए। इसमें नमक और चीनी के एक आद सेंपल को छोडकर सभी नामी ब्रैंड मौजूद थे।
जब इस सेंपल की स्टडी की गई तो उसमें पाया गया कि इनमें 0.1 से लेकर 5 एमएम साइज तक के प्लास्टिक कण है। ये कण रेशों, पतली झिल्ली और टुकड़ों के रूप में मौजूद है। पलास्टिक का कलर बहुरंगी है। ये ट्रांसपेरेंट, सफेद, लाल, काला, नीला, बैंगनी, हरा और पीले रगों में मिला। इन सभी सेंपल में सबसे कम प्लास्टिक के कण आर्गेनिक चीनी में पाए गए।
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इन बड़ी बिमारियों का होगा खतरा
नमक और चीनी के सभी सेंपल में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाना काफी चिंता का विषय है। क्योंकि हमारे सभी के घरों में नमक और चीनी का रोजाना सेवन किया जाता है। टॉक्सिक्स लिंक के फाउंडर डायरेक्टर रवि अग्रवाल और असोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा का कहना है कि ये माइक्रोप्लास्टिक हेल्थ के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरा है।
इंसान के शरीर में ये प्लास्टिक के कण खाने-पीने और हवा के द्वारा अंदर घुस सकते है। जिससे मोटापा, लंग्स में सूजन, हार्ट अटैक और इनफर्टिलिटी आदि का खतरा बढ़ता है। ये माइक्रोपलास्टिक, हानिकारक केमिकल छोड़ती है जो व्यक्ति में कैंसर और प्रजनन संबंधी विकार का कारण बनता है।
भारत के लिए सिचुएशन अलार्मिंग
भारत के लिए ये सिचुएशन काफी अलार्मिंग है। क्योंकि भारतीय चीनी और नमक का काफी ज्यादा उपयोग करते है। कई स्टडीज में ये रिवील भी हुआ है कि भारत में लोग मानक तय से काफी ज्यादा चीनी और नमक को कन्ज्यूम करते है। कई रिपोट्स के मुताबिक, एक दिन में भारतीय 10.98 ग्राम नमक और करीब 10 चम्मच चीनी खाते है। जो कि WHO के मानक से काफी ज्यादा है। देश में बढ़ती बीमारियां और डायबिटीज पेशेट्स इस बात का सबूत है