सरकार के मंत्री कहां, कब और किस दिन मिलेंगे. जनता हो या कार्यकर्ता मंत्रियों को खोजने में ही उनकी चप्पल घिस जाती है. बीजेपी वर्कर्स ही कई बार इस तरह की शिकायत कर चुके हैं. लिहाजा संगठन लेवल पर एक बार फिर से मंत्रियों के लिए गाइडलाइन जारी करने पर मंथन शुरू हो गया है.
संगठन और सरकार में कॉऑर्डिनेशन बना रहे. कार्यकर्ताओं को किसी समस्या के समाधान के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े. इसके लिए बीजेपी से लेकर सरकार भी कई बार मंत्रियों के लिए बीजेपी दप्तर में कैंप करने, प्रभारी जिलों में जाकर प्रवास करने, विधानसभा स्थित अपने ऑफिस में बैठने का कार्यक्रम तय कर चुकी है. लेकिन शुरूआती कुछ दिनों के बाद मंत्री वापस अपने रूटीन पर लौट आते हैं. हालत ये है कि कार्यकर्ता अब शिकायत करने लगे हैं कि मंत्री मिलते ही नहीं हैं. लिहाजा अब बीजेपी संगठन में इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है. जिसके तहत एक बार फिर से मंत्रियों के लिए संगठन द्वारा गाइड लाइनजारी की जा सकती है. जिसके तहत हफ्ते में एक दिन अनिवार्य रूप से एक मंत्री को बीजेपी दफ्तर में बैठकर समस्याएं सुननी होंगी.
मंत्री सुलझाएंगे आम लोगों की समस्या
सूत्रों की माने तो कार्यकर्ताओं में ही नहीं संगठन लेवल पर भी नाराजगी जाहिर की जा रही है. मंत्री सिर्फ अपनी विधानसभा और अपने समर्थक कार्यकर्ताओं तक सीमित हो गए हैं. कई मंत्री जिला प्लान की मीटिंग्स को छोड़ दिया जाए, तो अपने प्रभारी जिलों तक का दौरा नहीं कर रहे हैं. हालांकि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सराहना करते हुए कहा कि मंत्री बीजेपी दफ्तर में बैठेंगे तो कार्यकर्ताओं के साथ आम जनता की समस्याओं का भी समाधान किया जा सकता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का साफ तौर से मानना है कि आम जनता और कार्यकर्ताओं की बदौलत ही सरकार आती है. इसलिए जनता की समस्या और कार्यकर्ताओं की समस्या का समाधान होना चाहिए