जीएसटी छापेमारी मामले में जीएसटी विभाग ने 19 बैकों के 310 खातों को सीज कर दिया है। अब बिलर इन खातों से कोई लेन-देन नहीं कर पायेंगे।
जीएसटी की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) के कमिश्नर रजनीश यशवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रथम चरण की जांच में जब्त किये गये डाटा एवं दस्तावेजों के मिलान से कई अहम सुराग मिले हैं। जीएसटी चोरी की आड़ में बिलर ब्लैकमनी को व्हाइट इकॉनमी में तब्दील करने में जुटे थे। इस पैसे को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाता था। सॉफ्टवेयर के माध्यम से इन फर्मों की डिटेल खंगाली जा रही है। होली के बाद और कई बड़े बिलरों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। इस तरह के छापामारी अभियान आगे भी जारी रहेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार सर्वप्रथम बिलर मजदूर एवं गरीब व्यक्ति के जरूरी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पेन कार्ड बनवाते थे। फिर उस पेन कार्ड का इस्तेमाल कर उसकी फर्जी फर्म एवं बैंक में खाता खुलवाते थे। बिलर बड़े-बड़े बिल खरीदारों से संपर्क कर महीने में दिए जाने वाले बिलों की डील तय किया करते थे। कई बार किसी बड़े कारोबारी से महीने में 1 करोड़ रुपये के बिल देना तय होता था। जिसके अनुसार 10-10 लाख रुपये के बिल हर 10 में लगाने होते थे। डील पर तय कमीशन की रकम बिलरों की कमाई का जरिया बनता था। प्रथम दृष्टया जांच में पाया गया कि बिलर मनी लांड्रिंग, धोखाधड़ी और जीएसटी चोरी किया करते थे। बैंकों के अधिकारियों को पत्राचार के माध्यम से बिलरों के खाते सीज करने के लिए कहा गया है।
आपको बता दें कि विगत 4 मार्च को उत्तराखंड कर कमिश्नर डॉ. अहमद इकबाल के आदेश पर जीएसटी की विशेष अनुंधान शाखा के संयुक्त निदेशक रणवीर सिंह की अगुवाई में 27 टीमों ने छापा मारकर 18 करोड़ की जीएसटी की चोरी पकड़ी थी।