
देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव का वास है। यहां पर कण-कण में भोले भंड़ारी की पूजा की जाती है। कैलाश के बाद अगर भगवान शिव का कोई पसंदीदा स्थान है तो वो है केदारनाथ धाम। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर (kedarnath Temple) हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पंच केदार में से एक भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के चारधाम यात्रा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हर साल ये मंदिर श्रद्धालुओं के लिए मई से नवंबर के बीच खुला रहता है। तो वहीं शीतकाल में भारी बर्फबारी के चलते केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। हर साल श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर के कपाट के खुलने की तिथि का वेट करते है। ऐसे में चलिए जानते है कि बाबा केदार के कपाट खुलने की तिथि (kedarnath opening date in 2025) कब बताई जाएगी।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि 2025 | kedarnath door opening 2025
केदारनाथ मंदिर की यात्रा की शुरुआत और समापन के समय का निर्धारण कई ज्योतिषीय और धार्मिक कारकों के आधार पर किया जाता है। हस साल केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन बताई जाती है। जो कि विशेष रूप से भोले भंड़ारी के पूजन का समय होता है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बाबा केदार के कपाट खोलने की डेट की घोषणा की जाएगी। इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025( kedarnath door opening 2025) को पड़ रही है। ऐसे में इसी दिन कपाट खुलाने की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
हालांकि संभावित तिथियां 2 मई 2025 और 10 मई 2025 के बीच बताई जा रही है। सटीक तिथि के लिए आपको महाशिवरात्रि के दिन ऑफिशियल घोषणा का इंतजार करना होगा।
मंदिर के दर्शन और आरती के समय
सुबह की आरती: 4:00 बजे से 7:00 बजे तक
सुबह के दर्शन: 7:00 बजे से 3:00 बजे तक
संध्या की आरती: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
संध्या के दर्शन: 5:00 बजे से 7:00 बजे तक
मंदिर बंद: दोपहर 3:00 से 5:00 बजे के बीच मंदिर बंद रहता है।
केदारनाथ मंदिर kedarnath Temple
अलकनंदा और मन्दाकिनी के मध्य, महापथ हिमालय की गोद में बसा है भगवान शंकर का सबसे प्रसिद्ध धाम केदारनाथ। ये पंच केदारों में भी सबसे अहम केदार है। केदार जिसका मतलब होता है दलदल। एक किवदंती के मुताबिक, कहा जाता है की इस दलदलाती भूमि में नर नारायण नाम के दो ऋषियों ने भगवान शिव का तप किया था। जिससे खुश होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इसी केदार भूमि में निवास करने का वचन भी दिया।
ये वही धाम है जहां आज से 11 साल पहले यानी कि साल 2010 एक ऐसी आपदा आई थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। आज भी ये जगह शिव भक्तों के दिल में एक अहम स्थान रखती है। उत्तराखंड और शिव का नाता सदियों पुराना है तभी तो यहां के लिए कहा जाता है की उत्तराखंड में जितने कंकर उतने शंकर।
केदानाथ मंदिर की स्थापना (kedarnath Mandir History)
इस मंदिर की स्थापना के जुड़ी कई सारी मान्यताएं औऱ कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस वर्तमान मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा करवाया गया था। जो कि द्वापर युग में पांडवों द्वारा बनाए गए पहले के मंदिर के बगल में स्थित है। तो वहीं कुछ विद्वानों की माने तो ये 12वीं या 13वीं शताब्दी में बना है।
मंदिर कितना पुराना है इसका कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। हालांकि केदारनाथ हजारों वर्षों से हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रहा है। यहां पर स्थित स्वयम्भू शिवलिंग काफी प्राचीन है। मंदिर के गर्भगृह में जो शिवलिंग है वो त्रिकोणाकार है। ये बैल की पीठ जैसा है।
कैसे पहुंचे केदारनाथ मंदिर? (How to Reach Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालु कई मार्ग और साधन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हवाई मार्ग
केदानाथ मंदिर से सबसे नजदिकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट है। यहां से हरिद्वार या ऋषिकेश तक टैक्सी या बस आसानी से मिल जाएगी। जिसके बाद आप गौरीकुंड, फाटा और सिरसी के लिए बस या टैक्सी लें। गौरीकुंड, सिरसी और या फिर फाटा से हेलीकॉप्टर के जरिए (chardham yatra by helicopter) केदारनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि हेलीकॉप्टर सेवा ( heli services kedarnath ) का लाभ लेने के लिए आपको पहले से ही बुकिंग कराना जरुरी है। - सड़क मार्ग
दिल्ली, हरिद्वार, या ऋषिकेश से गौरीकुंड तक की सीधी बस सेवाएं श्रद्धालुओं के लिए मौजूद हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच 14 किलोमीटर की दूरी है। ये दूरी आप पैदल, घोड़े, पालकी आदि के माध्यम से कर सकते है। - ट्रेन मार्ग
केदारनाथ से सबसे नजदिकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ये गौरीकुंड से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है। ऋषिकेश से गौरीकुंड तक का सफर बस या फिर टैक्सी से किया जा सकता है। - पैदल यात्रा
गौरीकुंड पहुंचने के बाद यहां से केदारनाथ तक की 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा है। ऐसे में आप ट्रैक कर मंदिर तक पहुंच सकते है। रास्ते में आपको भोजन और विश्राम की सुविधाएं मिल जाएंगी।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- यात्रा करने से पहले उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और पंजीकरण के प्रोसेस की जानकारी प्राप्त कर लें।
- ऊंचाई वाले इलाकों में स्वास्थय और सांस संबंधी समस्याएं हो सकती है। इसलिए ध्यान रहे समस्याओं से बचने के लिए धीरे-धीरे अनुकूलन करें।
- मौसम की को ध्यान में रखते हुए कपड़े और आवश्यक दवाइयां साथ ले जाना ना भूलें।