राज्य के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जानकारी के अनुसार बता दें कि राज्य की स्थापना के बाद से एक ऐसी ग्रामसभा है जो पानी की एक बूंद के लिए भी तरस रही है बता दें इस ग्रामसभा का नाम है भेटी। कंडीसौड़ के थौलधार विकासखंड की नगुण पट्टी के अंतर्गत आने वाला ये क्षेत्र सालों से पेयजल के लिए तरस रहा है। ऐसा नहीं है कि गांव की प्यास बुझाने की कोशिशें नहीं की गईं, लेकिन भ्रष्टाचार के दीमक ने इन योजनाओं को परवान नहीं चढ़ने दिया। साल 2001 में भेटी के लिए 25 लाख की लागत से भेटी पेयजल योजना का शुभारंभ हुआ था,
लेकिन इस पेयजल योजना से ग्रामीणों को दो दिन भी पानी नहीं मिल सका। धीरे-धीरे पेयजल लाइन ही गायब हो गई। तब से लेकर आज तक इस गांव के लिए कोई पेयजल योजना नहीं बनी। भेटी ग्रामसभा ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां 185 परिवार रहते हैं, जो गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।भेटी ग्रामसभा में तीन गांव आते हैं। गांव भेटी में 120 परिवार रहते हैं, जबकि मंजियाड़ी में 35 और पावखाल में 30 परिवार बसे हैं। तीनों गांवो में 185 परिवारों की लगभग 8 सौ आबादी है। इन तीनों गांवों की प्यास बुझाने के लिए पेयजल विभाग ने यहां दो हैंडपंप लगाए हैं, जो कि 5 सौ लीटर साफ पानी के बाद गंदा पानी देना शुरू कर देते हैं। मंजियाड़ी गांव में दूसरे गांव से लाइन ले जाकर एक स्टेंड पोस्ट की व्यवस्था की गई है, जबकि पावखाल के लोग एक किलोमीटर दूर नागराजाधार से पानी ढोते हैं।
अपने और पशुओं के लिए जरूरत का पानी जुटाने में पूरे परिवार का आधा दिन निकल जाता है। भेटी के लोग सालों से पेयजल योजना निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा। हाल ये हैं कि लोगों को पानी के लिए कुआं खोदना पड़ रहा है। बुजुर्गों का कहना है कि उनका जीवन गदेरे से पानी ढोते-ढोते कट गया, लेकिन गांव अब तक पेयजल संकट से नहीं उबर पाया। वहीं जल निगम अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र के लिए पेयजल योजना स्वीकृत की गई है। जिस पर 1 करोड़ 38 लाख का खर्च आएगा। बजट मिलते ही पेयजल योजना का काम शुरू कर दिया जाएगा।