देहरादून। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के प्रदेश समन्वयक मनोज ध्यानी ने बताया कि हाल ही मे सम्पन्न विधानसभा चुनाव 2022 में सभी पांच राज्यों जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर शामिल है, पर संयुक्त रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि चुनाव मे उतरे सभी 6944 उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण कर 113 पृष्ठ की रिपोर्ट तैयार की गईं है। एडीआर द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने की दिशा मे इन सभी राज्यों मे चुनाव मे उतरे उम्मीदवारों पर चुनाव के पृथक पृथक समय पर उन राज्यों से संबंधित आंकड़ों पर रिपोर्ट प्रेस के समक्ष जारी की जाती रही है, ताकि मतदाता जागरूक बनकर मतदान करे। एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच ने राज्य के भीतर 02 दिसंबर 2021 को पिथौरागढ़ में, 29 जनवरी 2022 को देहरादून में व 12 फरवरी को हल्द्वानी में उत्तराखंड विधानसभा सदस्य्ता हेतु पुनः चुनाव लड़ रहे विधायकों के आय, सम्पत्ति, शैक्षणिक योग्यता, लिंग, आपराधिक पृष्ठभूमि पर रिपोर्ट जारी की थी।
आज मीडिया को प्रेस विज्ञप्ति द्वारा इस रिपोर्ट के विषयगत उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट के अनुसार एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कुल 6944 उम्मीदवारों के शपथपत्र का अध्ययन किया व इनमें से 6874 उम्मीदवारों का पूर्ण विश्लेषण किया जा सका। कुल 70 उम्मीदवारों के शपथपत्र का विश्लेषण इसलिए नहीं किया जा सका क्यूंकि उनके शपथ पत्र पूर्ण नहीं पाए गए थे। इस बाबत एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने निर्वाचन आयोग से ऐसे प्रत्याशियों पर कार्रवाई की मांग भी इस रिपोर्ट के माध्यम से करते हुए कहा है कि जिनके शपथपत्र स्पष्ट नहीं रहे है, उनके खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई करे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की इस रिपोर्ट के अनुसार 6874 उम्मीदवारों मे से 1916 उम्मीदवार राष्ट्रीय दलों से, 1421 राज्य दलों से, 1829 गैर मान्यता प्राप्त दलों से और 1708 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान मे उतरे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषण किये गए उम्मीदवारों मे से 1694 (25%) उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के, 1262 (18%) गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के, 2836 उम्मीदवार व (41%) करोड़पति उम्मीदवार इन पांच राज्यों मे चुनाव मैदान मे उतरे थे। चुनाव लड़े इन उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति ₹3.27 करोड़ रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय पार्टियों के 1927 उम्मीदवारों मे से कुल 1916 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया जिनमें 657 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के थे, 467 गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के उतारे गए व 1372 करोड़पति थे। राज्य दलों की बात की जाएं तो चुनाव मे इन दलों द्वारा उतारे गए 1431 उम्मीदवारों में से 1421 का विश्लेषण किया गया जिनमें से 555 (39%) उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के, 413 (29%) गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के व 772 (54%) करोड़पति उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए। गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के कुल 1855 उम्मीदवारों में से 1829 का विश्लेषण किया गया जिनमें से 253 (14%) आपराधिक पृष्ठभूमि के, 200 (11%) गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के व 345 (19%) प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार उतारे गए। निर्दलीय उम्मीदवारों की बात की जाए तो कुल 1731 ममें से 1708 का विश्लेषण किया गया जिनमें से 229 (13%) आपराधिक पृष्ठभूमि के, 182 (11%) गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के व 347 (20%) करोड़पति उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी रिपोर्ट का अध्ययन बता रहा है इन पांच राज्यों में चुनाव में उतरे 44 उम्मीदवारों पर हत्या (आईपीसी 302), 209 पर हत्या करने का प्रयास (आईपीसी 307) व 107 पर महिलाओं के ऊपर अत्याचार जैसे अपराध दर्ज पाए गए हैं। इनमें से 16 उम्मीदवारों पर बलात्कार (आईपीसी 376, 376(डी), 376(2)(एन) जैसे घृणित अपराध भी दर्ज पाए गए है। एडीआर की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 2022 मे उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्यूंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की पुरानी प्रथा का पालन किया है। विदित रहे कि सर्वोच्च न्यायलय ने 13 फरवरी 2020 के अपने निर्देशों पर विशेष रुप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने व साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के कारण बताने का निर्देश दिया था। इन अनिवार्य दिशा निर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन का कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ मे होना चाहिए। एडीआर का कहना है कि 05 राज्यों मे सम्पन्न हुए चुनाव में यह देखा गया है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी चयन के पीछे राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए कारण निराधार व आधारहीन कारण है। उन्होंने जो कारण बताये हैं वह व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, राजनीती से प्रेरित मामले इत्यादि बताये गए हैँ। जबकि यह दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारो को टिकट देने के लिये ठोस कारण नहीं है। यह आंकड़े स्पष्ट रुप से दिखाते है कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली ममें सुधार करने मे कोई दिलचस्पी नहीं है और यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र ममें कानून तोड़ने वाले उम्मीदवार जितने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 07 नवंबर 2021 को भारत के प्रथम गांव माणा पहुंचकर इस मतदाता जागरूकता अभियान का शुभारम्भ किया था व इस जागरूकता अभियान के तहत एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच ने 7,000 किलोमीटर से अधिक यात्रा पूर्ण करके लगभग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र मे पहुंचकर सघन अभियान चलाया था। इस क्रम को अब किसी भी हाल में रुकने नहीं दिया जायेगा व भविष्य मे इस अभियान के चुनाव सुधार के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये इसे व्यापक व वृहद स्वरूप दिया जायेगा, जिससे कि बड़ी संख्या मे सिविल सोसाइटी, स्वयंसेवी संस्थाओं,नागरिक समूहों, कॉलेज व यूनिवर्सिटी छात्रों को इस अभियान का हिस्सा बनाकर लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।