नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने पत्रकार पर हमले को लेकर जताया आक्रोश, चंपावत एसपी को सौंपा ज्ञापन

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टनकपुर में वरिष्ठ पत्रकार और परिवार पर अराजक तत्वों का हमला, यूनियन ने की निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की मांग

टनकपुर/चंपावत, 3 जुलाई 2025
टनकपुर नगर के वार्ड नंबर 4 निवासी वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल यादव और उनके परिवार पर हुए हमले को लेकर नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (NUJ Uttarakhand) ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष दया जोशी ने चंपावत के पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित कर हमलावरों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई और घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि 29 जून 2025 की सायं लगभग 7 बजे पत्रकार बाबूलाल यादव पर टनकपुर की मछली गली के समीप सुनियोजित तरीके से हमला किया गया। आरोप है कि सुनील बाल्मीकि, मुनेश बाल्मीकि, गौरव, अजीत कुमार सहित लगभग 50 अज्ञात व्यक्तियों ने पत्रकार को घेरकर उन पर लाठी-डंडों और हॉकी स्टिक से ताबड़तोड़ हमला किया। पत्रकार को बचाने पहुंचे उनके पुत्र रवि यादव और अन्य परिजनों को भी बुरी तरह पीटा गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हुए। हमलावरों द्वारा परिवार की महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की बात भी सामने आई है।

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घटना की गंभीरता को देखते हुए थाना टनकपुर में एफआईआर संख्या 0069/2025 भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2), 126, 190, 191(2), 191(3), 351(2) के अंतर्गत दर्ज की गई है। हालांकि यूनियन ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई है कि घटना के ठीक अगले दिन आरोपियों की ओर से साजिशन एक क्रॉस एफआईआर संख्या 0070/2025 भी दर्ज कराई गई, जिसमें पत्रकार बाबूलाल यादव और उनके परिवार को ही अभियुक्त बनाया गया है। इस झूठी एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2), 324(4) के साथ-साथ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं 3(1)(द) और 3(1)(ध) भी जोड़ दी गई हैं।

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यूनियन का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से एक पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है, जो न केवल पत्रकार की गरिमा पर प्रहार है, बल्कि कानून के दुरुपयोग का भी उदाहरण है। यूनियन ने चेताया है कि यदि झूठे मुकदमे को वापस लेकर वास्तविक दोषियों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो पत्रकार समाज राज्यव्यापी आंदोलन को बाध्य होगा।

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प्रदेश अध्यक्ष दया जोशी ने कहा कि “पत्रकारों पर इस प्रकार के हमले और उनके विरुद्ध झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें डराने की कोशिश निंदनीय है। ऐसे मामलों में पुलिस को निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए, न कि दबाव में आकर पीड़ित पक्ष को ही कटघरे में खड़ा करना चाहिए।

यूनियन ने मांग की है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए शासन-प्रशासन ठोस नीति बनाए और ऐसे मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जाए, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनी रह सके।

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