देहरादून : उत्तराखंड के मतदाताओं को डबल इंजन के बल पर शहरों से लेकर सीमांत में अंतिम छोर में बसे गांव के विकास, केंद्र की महत्वाकांक्षी विकास परियोजनाओं, समान नागरिक संहिता के रूप में नई पहल ने लुभाया अथवा महंगाई, बेरोजगारी के साथ अग्निवीर योजना के विरुद्ध कांग्रेस की आवाज ने उनके दिलों में उतर गई, यह पता चलने में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है।
श्रीराम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद-370 की समाप्ति जैसे वायदे पूरे कर आत्मविश्वास से भरी भाजपा ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय हित और बहुसंख्यकों के हित से समझौता करने के आरोप मढ़े।
जवाब में कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को अधिक अवसर, हिस्सेदारी न्याय समेत पांच न्याय गारंटी पेश कर चुनौती दी तो पांचों लोकसभा क्षेत्रवार एंटी इनकंबेंसी का कारण बने मुद्दों पर भाजपा की घेराबंदी की। मुद्दों के मोर्चे पर चुनावी दांवपेच में बाजी किसके हाथ लगी और किसे मायूस होना पड़ा, इसका पता चार जून को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही चल सकेगा।
चुनावी महासंग्राम मुद्दों की दृष्टि से खास
उत्तराखंड की भूमि पर इस बार लोकसभा का चुनावी महासंग्राम मुद्दों की दृष्टि से खास रहा है। भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे को पटखनी देने के लिए मुद्दों की बिसात पर जमकर चालें चलीं। मतांतरण, लव जिहाद और मजार एवं धार्मिक प्रतीक चिह्न का निर्माण कर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने कड़े कानून की मजबूत आधार भूमि तैयार की।
फिर समान नागरिक संहिता के रूप में ऐसी पहल की गई जो पूरे देश के लिए नजीर बन गई। कांग्रेस ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया, लेकिन इसे जल्दबाजी में लागू करने का आरोप लगाया। लंबे मंथन के बाद तैयार किए गए पार्टी के घोषणापत्र में हिस्सेदारी न्याय और अल्पसंख्यकों को अधिक अवसर पर जिस प्रकार जोर दिया गया, उसे राजनीतिक हलकों में समान नागरिक संहिता के जवाब के रूप में देखा गया है।
कांग्रेस ने पांच न्याय गारंटी से मतदाताओं को रिझाने में ताकत झोंकी, साथ में लोकसभा क्षेत्रवार एंटी इनकंबेंसी मुद्दों को सूचीबद्ध कर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में वनंतरा रिसार्ट की महिला कर्मचारी की हत्या, अग्रिवीर योजना, ग्रामीणों की पेयजल समस्या जैसे मुद्दों को लेकर केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों पर आरोपों की बौछार की।
जोशीमठ और पिथौरागढ़ समेत पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रभावितों को राहत और स्थानीय जन समस्याओं को मुद्दा बनाया गया। हरिद्वार व नैनीताल-ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस ने अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति व जनजाति के मतदाताओं को केंद्र में रखकर मुद्दों को हवा दी।
वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण के साथ ही राज्य हितों से समझौता करने का आरोप लगाते हुए अपना दृष्टिकोण जनता के सामने रखा। मुद्दों, वायदों और आरोपों को लेकर राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के बीच लंबा दौर चला है। इस दौरान मतदाताओं ने किन मुद्दों को पसंद किया और किन्हें तरजीह नहीं दी, इस पर दल भी टकटकी बांधे हुए हैं।