विश्व पर्यावरण दिवस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ वन एवं पर्यावरण से संबंधित समीक्षा की

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश के मा0 वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हरक सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जिलाधिकारियों के साथ वन एवं पर्यावरण से सम्बन्धी समीक्षा बैठक की। उन्होंने पर्यावरणविद स्व0 सुंदर लाल बहुगुणा को याद कर नमन करते हुए कहा कि उनको पूरा देश ही नही बल्कि पूरा विश्व उनके पर्यावरण प्रेम को लेकर उन्हें हमेशा याद करेगा। उन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित किया। मा0 मंत्री ने कहा की प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण है व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सचेत करना है। हम सभी का पर्यावरण के बीच बहुत गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाना ही होगा। विश्व में लगातार वातावरण दूषित होते जा रहा है, जिसका गहरा प्रभाव हमारे जीवन में भी पड़ रहा है। उन्होने कहा इस वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान आपार मानवीय पीड़ा और हानि हुई हैं। हमे इस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा कमी खली है वह आॅक्सीजन की है। इस कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के कारण देश भर में आज हमारे बीच से कई लोगों की जानें चली गईं। हम सभी ने लोगों को एक-एक सांस के लिए तरसते देखा है और हमने इसकी कीमत का अनुभव किया। इस लिये हमें विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इन परिस्थितियों को याद रखने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि प्रकृति से हमें जो ऑक्सीजन मिलती है, वह हरित आवरण को बढ़ाने और हवा, यानि हमारी हर एक सांस को प्रदूषित न करने पर आधारित है। यह एक ऐसी ईश्वर की दी हुयी संजीवनी है जिसके बारे हमे मिल कर ठोस कदम उठाना होगा। उन्होने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से तात्पर्य वृक्ष उगाना, शहर को हरा भरा करना, बगीचों को फिर से बनाना और नदियों व तटों की सफाई करना हैं। जिसके फलस्वरूप हमारी धरती कार्बन डाईऑक्साइड को अलग करके ऑक्सीजन देने में सफल हो पाएगी। यह गैस हमारे वातावरण को लगातार भरे जा रही है और जलवायु परिवर्तन की समस्या को भयावह बना रही है। हमें यह समझने की जरूरत है कि पेड़ लगाने या पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए हमें पहले प्रकृति और समाज के साथ अपने संबंधों को बहाल करना होगा। मा0 मंत्री जी ने कहा कि इस अवसर पर सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि राज्य में जितने गांव हैं तथा गाँव के आसपास के क्षेत्रों में जितने जल स्रोत हैं, राजस्व अभिलेखों में जिन जल स्रोतों का उल्लेख किया गया है उन जल स्रोतों को 1 वर्ष के अंदर पुनर्जीवित करना हैं। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी व सभी विभागाध्यक्ष इस बात का ध्यान रखे कि अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट का जो प्रस्ताव बनाएंगे उसमे प्रत्येक विभाग क्लाइमेट चेंज को लेकर अपने विभागीय बजट में एक निश्चित धनराशि निर्धारित करें। उन्होने कहा कि जो जनपद या कोई व्यक्ति पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करेगा तो उसे आगामी विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सम्मानित किया जायेगा। उन्होने कहा कि जो बाते आज कही गयी है उसे सभी मनन करते हुये कार्यो धरातल पर उतारना सुनिश्चित करें तभी पर्यावरण शुद्ध हो पायेगा।
मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बताया कि पर्यावरण परिर्वतन का असर हमारे जीवन मे दिखता हैं।
उत्तराखंड में देश की 28 प्रतिशत जैव विविधता पाई जाती है। यहां की जैव विविधता का प्रभाव भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व पर पड़ता है। पर्यावरण संतुलन के लिए लोगों में सजगता होना बहुत जरूरी है। हम भावी पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है। वैश्विक कोरोना महामारी के समय इसका महत्व और भी बढ़ गया हैं। उन्होंने कहा कि भारत में जैव विविधता को बनाए रखने में उत्तराखंड का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो जल स्रोत विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्ति की कगागर पर हैं उन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

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विडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से जिलाधिकारी श्रीमती रंजना राजगुरू, अपर जिलाधिकारी जगदीश चन्द्र काण्डपाल, मुख्य नगर आयुक्त रिंकु बिष्ट, सीएमओ डा0 डीएस पंचपाल, एसडीओ वन विभाग डीएस मर्तोलिया, शिशपाल सिंह रावत आदि जुड़े थे।

योगेश मिश्रा उप निदेशक/जिला सूचना अधिकारी मो0-7055007008
के0एल0 टम्टा, अपर जिला सूचना अधिकारी मो0- 7055007023

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