उत्तराखंड में सभी धर्मों में महिलाओं के लिए संपत्ति का अधिकार देने की तैयारी

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उत्तराखंड में सभी धर्मों में महिलाओं के लिए पैतृक संपत्ति का अधिकार दिए जाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में मुस्लिम महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार नहीं दिया गया है।

चूंकि विशेषज्ञ समिति लैंगिक समानता के आधार पर महिलाओं को मुख्य रूप से केंद्र में रखकर रिपोर्ट तैयार कर रही है, इसलिए यह माना जा रहा है कि राज्य की मुस्लिम महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिल सकता है। हालांकि इस मसले को लेकर पेच भी फंसने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

वर्ष 2005 से पहले हिंदू महिलाओं को माता-पिता की संपत्ति में कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। उन्हें यह अधिकार वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिला। अब वे पैतृक संपत्ति पर पुरुषों के समान अधिकार रखती हैं। लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ है जिसमें उन्हें पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार नहीं है। लेकिन राज्य में यदि सभी महिलाओं को संपत्ति में अधिकार की विधिक व्यवस्था होगी, तो इसके दायरे में मुस्लिम महिलाएं भी आएंगी।

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बहरहाल, समान नागरिक संहिता पर काम कर रही विशेषज्ञ समिति अब ड्राफ्ट तैयार करने के निर्णायक मोड पर है। समिति के सदस्य व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह कहते हैं, समिति गठन के समय ही साफ कर चुकी है कि वह लैंगिंक समानता के आधार पर काम करेगी, जिसमें महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात शामिल है।

माता-पिता के लिए सामाजिक सुरक्षा
यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति राज्य में उन अभिभावकों के लिए सामाजिक सुरक्षा पर गहनता से विचार कर रही है, जिन्हें कायदे-कानून में कुछ बदलाव करके राहत दी जा सकती है। सैन्य और अर्द्धसैनिक बहुल राज्य में यह समस्या खासतौर पर उन परिवारों में देखने में आती है, जहां दुर्भाग्य से जवान या अफसर शहीद हो जाते हैं। ऐसे मामलों में मिलने वाला बीमा व अन्य लाभ विधवा पत्नी को मिलते हैं। लेकिन कतिपय मामलों में विधवा पत्नी के पुनर्विवाह कर लेने से माता-पिता वित्तीय सुरक्षा से वंचित हो गए।

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पूर्व सैनिकों से चर्चा में उठा था मसला
विशेषज्ञ समिति ने जब समाज के अलग-अलग वर्गों से समान नागरिक संहिता पर सुझाव मांगे थे। उस दौरान पूर्व सैनिकों के साथ भी चर्चा हुई थी। चर्चा के दौरान यह मसला पूर्व सैनिकों की ओर से ही उठा था।

यह बात सही है कि समान नागरिक संहिता में लैंगिक समानता को केंद्र रखा गया है। महिलाओं को समान अधिकार का विषय समिति की परिधि में शामिल है। लेकिन कौन सा विषय ड्राफ्ट में शामिल होगा कौन सा नहीं, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

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यूसीसी भाजपा का चुनावी एजेंडा भी
समान नागरिक संहिता भाजपा के लिए प्रमुख चुनावी एजेंडा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यूसीसी बनाए जाने की घोषणा की थी। सत्ता में आते ही उन्होंने विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूसीसी को लेकर ड्राफ्ट तैयार होने जा रहा है। कर्नाटक चौथा राज्य है, जहां भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता का वादा किया। उससे पहले गुजरात, हिमाचल राज्य भी समान नागरिक संहिता दिशा में पहल कर चुके हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यूसीसी को प्रचार का प्रमुख एजेंडा बनाया है।

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