तिरुपति बाला मंदिर की तर्ज पर केदारनाथ धाम में व्यवस्थाएं बनाने की कवायद की जा रही है. इसके लिए बदरी केदार मंदिर समिति और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के बीच एमओयू साइन होने जा रहा है, लेकिन तीर्थ पुरोहितों ने अभी से विरोध शुरू कर दिया है. तीर्थ पुरोहितों का साफतौर कहना है कि देवास्थानम बोर्ड की तरह तिरुपति बालाजी एक्ट का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, आगामी 7 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री कोट्टू सत्यनारायण उत्तराखंड आएंगे और इस दिन वे केदारनाथ धाम भी जाएंगे. इस दौरान वे बदरी केदार मंदिर समिति और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के बीच होने वाले एमओयू में शामिल रहेंगे. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।
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केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने साफ शब्दों में कहा कि जिस तरह पहले उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विरोध किया गया, ठीक उसी तरह तिरुपति बालाजी ट्रस्ट की व्यवस्थाओं का विरोध भी किया जाएगा।
केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी कहा कि तिरुपति बालाजी का एक्ट केदारनाथ धाम की यात्रा व्यवस्थाओं में लागू किया जाना, सही नहीं है. तिरुपति और केदारनाथ धाम में जमीन आसमान का अंतर है. तिरुपति का एक्ट केदारनाथ से मेल नहीं खाएगा. इसका देवस्थानम बोर्ड की भांति विरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम के पीछे हिमस्खलन हो रहा है. इस पर सरकार और काबीना मंत्रियों का कोई ध्यान नहीं है. पर्यटन मंत्री हर बार एक नई स्कीम लेकर आ जाते हैं. तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि आपदा के बाद से केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन इन पुनर्निर्माण कार्यों के बाद से केदारनाथ धाम का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।
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किसी भी कार्य को करने से पहले कोई भी विचार-विमर्श तीर्थ पुरोहितों के साथ नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा किबिना सहमति से कोई भी कार्य करना, विनाशकारी साबित हो सकता है. इन दिनों केदारनाथ मंदिर के पीछे हिमस्खलन हो रहा है. यह भविष्य के लिए कोई बड़ा खतरे का इशारा है।
केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला (Kedar Sabha President Vinod Shukla) ने कहा कि चारधामों में तिरुपति बालाजी ट्रस्ट के साथ होने वाले एमओयू का विरोध किया जाएगा. सरकार कोई भी कार्य करने से पहले तीर्थ पुरोहितों के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं कर रही है।
केदारनाथ धाम में सीधे कार्य शुरू किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी एक्ट का चारधामों के तीर्थ पुरोहित पुरजोर विरोध करेंगे. बिना तीर्थ पुरोहितों की सहमति से प्रदेश सरकार कोई भी कार्य धाम में लागू नहीं कर सकती है।
पहाड़ की संस्कृति से मेल खाती हो ऐसे नियम बनाएं सरकारःवहीं, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम और बदरी केदार मंदिर समिति के साथ होने वाले एमओयू के खिलाफ कांग्रेस प्रदेश संगठन भी तीर्थ पुरोहितों के साथ खड़ा नजर आ रहा है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि तिरुपति बालाजी और केदारनाथ धाम की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं. जहां तिरुपति बालाजी मैदानी क्षेत्र में स्थापित हैं, वहीं केदारनाथ धाम 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जो कि बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में है. सरकार के मंत्री की ओर से सरासर गुमराह करने की बात कही जा रही है।
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु 18 किमी की पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़कर केदारनाथ धाम पहुंचते हैं. ऐसे में उन पर बाहरी नियम कानून लगाना उचित नहीं होगा. इसमें सभी पंडा पुरोहित समाज एवं सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर उत्तराखंड की संस्कृति के अनुरूप ही फैसला लिया जाना चाहिए।
क्योंकि पूर्व में भी वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर केदारनाथ धाम की यात्रा व्यवस्थाओं को बनाए जाने की बात कही गई थी, जो तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद लागू नहीं हो पाया. अब फिर से सरकार ने तिरुपति बालाजी की व्यवस्थाओं के नाम पर नया सिगूफा छेड़ दिया है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम की यात्रा धाम के पारंपरिक नियमों के अनुरूप ही होनी चाहिए, जो पहाड़ की संस्कृति से मेल खाती हो।