हल्द्वानी-
प्रदेश की सरकार का ऐलान है कि उत्तराखंड राज्य को 2025 तक एक अग्रणी राज्य बनाया जाएगा, तो वही सरकार के सामने पहाड़ों में सबसे गंदी नदियों के प्रदूषण को रोकना भी चुनौती है,
2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने का ऐलान करने वाली प्रदेश सरकार के सामने यहां की नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है, वहीं राज्य का पेयजल मंत्रालय इन नदियों को नमामि गंगे योजना के तहत स्वच्छ बनाने की योजना पर विचार तो कर रहा है, परंतु कामयाबी कितनी मिल रही है यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है,
सभी जानते हैं कि दुनिया की विख्यात नदियों में शुमार गंगा, यमुना उद्गम उत्तराखंड से होता है, वही उत्तराखंड में 9 नदियां देश की सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल हो गई है,
ऐसे में 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने का ऐलान करने वाली राज्य सरकार के सामने इन नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाना एक चुनौती है,
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में जैविक प्रदूषण के संकेतक बाया केमिकल ऑक्सीजन डिमांड( बी ओ डी) रिपोर्ट के अनुसार 323 नदियों पर 357 प्रदूषित नदी खंडों की पहचान की गई जिनमें से नदी खंडों में उत्तराखंड की 9 नदियां शामिल है,
सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड राज्य को अग्रिम राज्य बनाने की जो जिम्मेदारी ली है उसमें प्रदेश सरकार को राज्य के विकास से जुड़ी योजनाओं के अलावा पर्यावरण की सुरक्षा व स्वच्छता की जिम्मेदारी भी निभानी होगी, अब सरकार के आगे आने वाले 3 सालों में उत्तराखंड की 9 नदियों को स्वच्छ बनाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, राज्य सरकार को नमामि गंगे योजना के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर नदियों की स्वच्छता की नई नीति बनानी होगी,
नितेश झा सचिव पेयजल का कहना है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों को नमामि गंगे योजना के तहत प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास लगातार हो रहे है, हमने गंगा से जुड़े सभी शहरों में एसटीपी लगाए हुए हैं, अब हम मोहल्लों और बस्तियों के सीवर के ट्रीटमेंट के लिए जापान की तकनीकी का ट्रायल जल्द ही शुरू कर रहे हैं, इसका उपयोग अन्य प्रदूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए किया जाएगा,
नितेश झा ,सचिव पेयजल
रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड की सुसवा नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी मानी गई है ,सुसवा नदी मोथरावाला से रायवाला के बीच सबसे अधिक प्रदूषित है, नदी में प्रति लीटर मिलीग्राम में बीओडी का स्तर 37 है, जबकि एक प्रदूषण मुक्त नदी के लिए उसमें बीओडी की मात्रा का स्तर प्रति लीटर 1 किलोग्राम से कम होना चाहिए,
राज्य की नदियां व उनमें बीओडी का स्तर-
(नदी ) ( बीओडी की रेंज)
सुसवा नदी 37
ढेला 12-80
भेला 6.0 से 76.0
किच्छा 28.0
कल्याणी 16.0
गंगा। 6.6
कोसी। 6.4
नंदौर। 5.6-8.0
पिलखर। 10.0
प्रदेश सरकार के 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने की चुनौती में इन 9 नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाना भी एक चुनौती ही होगा, जहां इस स्तर पर प्रदेश सरकार कई योजनाओं में कार्य तो कर रही है, परंतु मोहल्ले और बस्तियों से प्रदूषित होने बाली इन नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने की कवायद भी तेज करनी होगी,