

- किसान महासभा ने वन विभाग से मगरमच्छों को पकड़ने और जिला प्रशासन से प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नाले को भूमिगत करने की मांग उठाई
सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी द्वारा प्रदूषित किए गए नाले में बड़ी संख्या में मौजूद मगरमच्छों के आतंक से नाले के आसपास रह रहे लोगों को राहत प्रदान करने के लिए वन विभाग द्वारा पकड़ कर ले जाने और प्रदूषित नाले को अंडरग्राउंड करने की मांग पर अखिल भारतीय किसान महासभा की एक बैठक पटेलनगर घोड़ानाला में आयोजित हुई। बैठक में क्षेत्र में मगरमच्छों के बढ़ते आतंक की ओर वन विभाग और जिला प्रशासन को बार बार ध्यान आकर्षित करने के बावजूद की जा उपेक्षा और उदासीनता पर क्षोभ व्यक्त किया गया।

बैठक को संबोधित करते हुए भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, बिंदुखत्ता की जनता के आंदोलन के बाद पहले गौतम समिति की रिपोर्ट में की गई अनुशंसा और उसके बाद 2011 में किसान महासभा के आंदोलन के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेश बगोली की अध्यक्षता में हुई बैठक में सेंचुरी द्वारा प्रदूषित किए गए नाले को भूमिगत किए जाने की कार्ययोजना बनाई गई थी। लेकिन जनता की सेहत से खिलवाड़ जारी रखते हुए दोनों ही बार इस पर अमल नहीं किया गया, इसके लिए पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने, और सेंचुरी मिल से अपने काम निकालने वाली राजनीतिक प्रवृति जिम्मेदार है। आज हालत यह बन चुके हैं कि इस क्षेत्र का भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है और कैंसर समेत कई बीमारियों का कारण बन गया है। इसी नाले में बड़ी संख्या में मगरमच्छ जानमाल के लिए खतरा बने हुए हैं। राज्य सरकार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए क्षेत्र की जनता को स्थाई राहत प्रदान करने की दिशा में काम करना चाहिए।
किसान महासभा के जिला सचिव चन्दन राम ने कहा कि, मगरमच्छ लगातार नजर आ रहे हैं, कभी बकरी पर हमला कर देते हैं कभी किसी के घर में घुस जा रहे हैं। वन विभाग के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद विभाग की निष्क्रियता चकित करने वाली है। लगता है बिना बड़े आंदोलन के वन विभाग की नींद नहीं खुलेगी।
वरिष्ठ नेता विमला रौथाण ने मांग की कि, महिलाओं और छोटे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए नाले के मगरमच्छों को तत्काल हटाए जाने की कार्यवाही की जाए और प्रदूषित जल के कारण लोगों की सेहत से हो रहे खिलवाड़ को बंद करने के लिए नाले को भूमिगत करने के प्रस्ताव को अमली जामा पहनाया जाय। अन्यथा क्षेत्रीय जनता बड़े आंदोलन को बाध्य होगी।
बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ नेता गोविन्द सिंह जीना ने की। बैठक में वन विभाग और जिला प्रशासन के समक्ष मांग को रखने के लिए किसान महासभा की एक कमेटी का गठन भी किया गया। यह भी तय किया गया कि नाले की शुरुआत से शांतिपुरी तक पीड़ित जनता को संगठित किया जाएगा जिसके लिए जगह जगह बैठकों का आयोजन किया जाएगा।बैठक में मुख्यतः विमला रौथाण, चन्दन राम, बिशनदत्त जोशी, राम किशन, पप्पू सिंह राजपूत, देशराज, राम पाल, मीना बाई, राजू, गोपाल, कुंती बाई, हरिश चंद्र चौबे, कमली बाई, कस्तूरी बाई, रेशमा, धीरज कुमार,
डा. कैलाश पाण्डेय, कमल जोशी, अनीता अन्ना, परमजीत, भूरीबाई, प्रेमजीत, मीनाबाई, कुन्ती, भीमाबाई, इन्द्राबाई, शान्ती देवी, मुन्नी देवी, शान्ती बाई, राम किशन, राजेश जोशी, वलवन्त सिंह, कैलाश चन्द्र पांडे, गोपाल सिंह नयाल, घोटू राज, कुसूम वाई, रेशमी बाई, अर्चना आदि ने विचार विमर्श में भागीदारी की।