उत्तराखंड के कुमाऊं में मनाए जाने वाला सातू आठू गमरा बिरूड़ पंचमी पर्व महिलाओं द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया

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भाद्रपद के कृष्ण पंचमी को उत्तराखंड के कुमाऊं में बिरुड़ा पंचमी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन 5 या 7 प्रकार के अनाजों को तांबे की या पीतल की तौली में भीगाया जाता है । तौली को गोबर से 5 जगह पर दूर्वा को लगाया जाता है चंदन पीठिया अक्षत से उसकी पूजा की जाती है उसमें एक पोटली अनाज को भी रखा जाता है। सातू के दिन महिलाएं व्रत करके पूरे विधि विधान सज धज कर परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत रखकर गमरा और महेश की पूजा करती है।

उस पोटली को सातू के दिन महिलाएं धो करके पूजा स्थल पर रखते हैं और उसी दिन गवारा पार्वती का पांच प्रकार के घास सौं धान मक्का तिल हाजरी से मूर्ति का निर्माण किया जाता है। सातू के दिन पंडित मंत्रोंचार कर और महिलाओं के द्वारा पूजा करवा कर गौरा माता का आह्वान किया जाता है। आठू के दिन महेश शिवजी की पांच प्रकार के घास सौं धान मक्का तिल हाजरी से मूर्ति बनाकर आठू के दिन पूजा की जाती है। सातों के दिन महिलाएं गले में डोर पहनती है और आठू के दिन हाथ में दुबड़ा को पहनती है। गौरा और महेश की मूर्तियां बनाई है उन मूर्तियों को मंदिर में आठू के दिन विसर्जित किया जाता है। और पोटली में पांच प्रकार के अनाज भिगोये उनको मंदिरों में चढ़ाया जाता है। उसके बाद प्रसाद के रूप में सभी के सिर में रखा जाता है। और जो सातूऔर आठू के फल इकट्ठा हुए रहते हैं मूर्ति विसर्जन करने के बाद उसको प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है ।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार कहानी इस प्रकार बताई जाती है की एक राजा उसका नाम वीर भाट था। उसने महिलाओं को यह व्रत करते हुए देखा और इसके बारे में उन महिलाओं से जानकारी ली उन्होंने बताया इसको करने से निसंतान को संतान उत्पन्न होती है तब वह अपने घर आकर अपनी सातौं रानियां को इस बारे में बताया जैसे-जैसे उन महिलाओं ने राजा को बताया था उसी प्रकार राजा ने अपने रानियां को बताया सबसे पहले बड़ी रानी से कहा घर की सफाई करके पांच प्रकार के अनाज इकट्ठा करते हैं जैसे उसने अनाज इकट्ठा एक दाना मुंह में डाल दिया व्रत खंडित होने पर दूसरी रानी से कहा उसने भी एक दाना मुंह में डाल दिया और व्रत खंडित हो गया इस प्रकार छह रानियां ने वही कहानी दोहरा दी सातवीं रानी को इस व्रत को करने के लिए कहा गया उसने पांच प्रकार के अनाज इकट्ठा कर जैसे ही उनको भिगोने लगी तभी उसका भी मन एक दाना मुंह में डालने का हुआ एक सरिया गर्म करके जीब में लगा दिया उसने बड़े विधि विधान से व्रत कर पूजा की तब उसको संतान के रूप में पुत्र प्राप्त हुआ । इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति सुख समृद्धि तथा खुशहाली के लिए महिलाएं इस व्रत को बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाती है।

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