सेल्फ कोरोना टेस्टिंग किट ने बढ़ाई चिंता,

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घर पर बैठे बैठे क़रीब पंद्रह मिनट में कोविड टेस्ट करने वाली ‘सेल्फ़ टेस्टिंग किट’ की बिक्री मुंबई में 100% से ज़्यादा बढ़ी है। लेकिन चिंता की बात ये है कि जो लोग इस किट को खरीद रहे हैं उनमें से ज़्यादातर के टेस्ट के नतीजों का आंकड़ा और जानकारी सरकार तक नहीं पहुंच रही है। इसके चलते कोरोना के आंकड़ों पर सवाल उठने लगे हैं।

बीएमसी ने ऐसी सेल्फ़ टेस्टिंग किट बनाने वाली कम्पनियों और फ़ूड एंड ड्रग ऐडमिनि‍स्ट्रेशन (एफ़डीए) से सम्पर्क साधा है। महानगर में ‘सेल्फ टेस्टिंग किट’ की मांग में जबरदस्त इज़ाफ़ा देखा जा रहा है। क़रीब सात महीने पहले लॉन्‍च हुई सेल्फ़ रैपिड टेस्टिंग किट जहां हफ़्ते में एक या दो बिक रही थीं अब एक दिन में एक स्टोर पर क़रीब 30 बिक रही हैं। मुंबई में तीन कंपनियां इसे बनाती हैं और उनका दावा है कि बीते एक हफ़्ते में इसकी बिक्री में 100% से ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है।

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कई केमिस्‍टों ने बताया कि जहां पहले एक किट भी बेच पाना मुश्‍क‍िल होता था तो वहीं अब हर दिन 20-30 किट बिक रहे हैं। सेल्फ़ टेस्टिंग किट की बिक्री रफ़्तार से बढ़ी है लेकिन लोग नतीजे रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। बीएमसी ने अब संज्ञान लिया है और कम्पनियों से सम्पर्क साधा है।

बीएमसी के एडिशनल हेल्थ कमिश्नर सुरेश ककानी ने कहा, ‘’ये किट बनाने वाली कम्पनियां और फ़ूड एंड ड्रग ऐडमिनि‍स्ट्रेशन से हमने सम्पर्क साधा है। किट ख़रीदने वालों की जानकारी हो ताकि ऐसे लोगों को ट्रैक कर सकें, जो पॉज़िटिव हों तो हमें जानकारी दी जाए। जो लोग इसे ख़रीद रहे हैं उनका फ़ोन नंबर, कॉन्‍टैक्‍ट डिटेल हमारे पास हो. ताकि हम इन्हें ट्रैक कर पाएं।”स्वॉब लेने की प्रक्रिया के बाद अगर किट पर दो लकीर दिखे तो मतलब पॉज़िटिव. इसपर पर एक कोड अंकित होता है, जिसको स्कैन करने के बाद किट की फ़ोटो ऐप पर अपलोड करनी होती है जिसके बाद पॉज़िटिव मरीज़ की जानकारी सरकार के पास पहुंचती है। वैसे इसका कोई सरकारी निगरानी तंत्र नहीं। इसलिए नतीजे ज़ाहिर करने में कई लोग लापरवाही बरत रहे हैं। इस पर निजी-सरकारी अस्पताल चिंता जता रहे हैं।

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