राज्य के इस शहर में उठी जिला बनाने की मांग, आमरण अनशन शुरु

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उत्तराखंड में 13 जिले हैं। लेकिन अब एक नए जिले की मांग को लेकर लोगों का आमरण अनशन शुरु हो गया है। दरअसल 4 दशक से उठ रही जिले की मांग पर साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल ने डीडीहाट जिले की घोषणा की। 10 साल बीत जाने के बाद भी जिला अस्तित्व में नहीं आया। जिला गठन के लिए राजाज्ञा जारी की जाती है। 2011 में केवल शासनादेश जारी किया गया। लेकिन हुआ कुछ नहीं। वहीं अब लोगों ने आवाज बुलंद कर ली है औऱ आमरण अनशन शुरु कर दिया है। बता दें डीडीहाट को सीमांत जिला घोषित किए जाने की मांग को लेकर शुक्रवार से आमरण अनशन शुरू हो गया।

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तमाम संगठनों के समर्थन के साथ सामाजिक कार्यकर्ता लवी कफलिया और दान सिंह देऊपा आमरण अनशन में बैठे। सैकड़ों लोगों ने समर्थन में धरना दिया। तहसील क्षेत्र के लोगों ने डीडीहाट को जिला बनाए बगैर आंदोलन समाप्त नहीं होगा।जिला बनाओ संघर्ष समिति ने 1 अक्टूबर से आमरण अनशन का ऐलान कर दिया था। इसके लिए पिछले एक पखवाड़े से समर्थन जुटाया जा रहा था। क्षेत्र के हजारों पूर्व सैनिकों, स्कूली बच्चों, अंजूमन समाज, वाल्मीकि समाज, सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित तमाम संगठनों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। शुक्रवार को जिला बनाओ संघर्ष समिति के सदस्य क्षेत्र के प्रसिद्ध मलयनाथ स्वामी मंदिर पहुंचे। जिले के लिए आशीर्वाद लेने के बाद धरना स्थल पर पहुंचे लवी कफलिया और दान सिंह देऊपा ने आमरण अनशन शुरू किया।
इससे पूर्व समिति के बुजुर्ग संरक्षक मोहन सिंह मर्तोलिया और डीएस पांगती से भी आंदोलनकारियों ने आशीर्वाद लिया। अनशन स्थल पर पहुंचे कुमाऊं गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष दिनेश गुरू रानी, शेर सिंह चुफाल, गोविंद सिंह कन्याल, खड़क सिंह बोरा, गणेश लाल साह, इदरीश अहमद, दान सिंह कन्याल, गणेश सिंह कन्याल, राजकमल, सुभाष जोशी, गुड्डू, राजू बोरा, करन टोलिया ने धरना दिया।

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