तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि आज तय हो गई है। शीतकाल के लिए कपाट बंद होने के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ भगवान शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में दर्शन देंगे।
तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट इस दिन होंगे बंद
शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में शनिवार को दशहरे के शुभ अवसर पर पंचांग गणना की गई। जिसके बाद तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा की गई। तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए सोमवार 4 नवंबर पूर्वाह्न 11 बजे बंद होंगे।
शीतकाल में यहां देंगे भगवान दर्शन
शीतकाल के लिए कपाट बंद होने के बाद भगवान शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में दर्शन देते हैं। शनिवार को कपाट बंद होने के साथ ही देव डोलियों के शीतकालीन गद्दीस्थल पहुंचने का कार्यक्रम की भी घोषणा की गई। बता दें कि कपाट बंद होने के बाद चल विग्रह उत्सव डोली 4 नवंबर को प्रथम पड़ाव टोपता पहुंचेगी।
जिसके बाद चल विग्रह उत्सव डोली पांच नवंबर को भनकुन गुफा पहुंचेगी। पांच और छह नवंबर को डोली यहीं प्रवास करेगी। सात नवंबर को डोली शीतकाल गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ मंदिर में विराजमान होगी। इस साल 1,40,322 से तीर्थयात्रियों ने तुंगनाथ के दर्शन किए।
विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव का धाम है तुंगनाथ
विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव का धाम तुंगनाथ रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र की सतह से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुंगनाथ में भगवान शिव के साथ-साथ भगवती, उमादेवी और ग्यारह लघुदेवियां भी पूजी जाती हैं। इन देवियों को स्थानीय भाषा में द्यूलियाँ भी कहा जाता है। माघ के महीने में तुंगनाथ का डोला या दिवारा निकाला जाता है जो पंचकोटि गाँवों का फेरा लगाता है। इस डोले के साथ गाजे-बाजे और निसाण भी होते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार तुंगनाथ में भगवान शिव के बाहु यानी भुजा की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने इसी स्थान पर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और बदले में भोले बाबा ने उसे अतुलनीय भुजाबल दिया था। इस घटना के प्रतीक के रूप में यहां पर रावणशिला और रावण मठ भी हैं।