हरिद्वार: उत्तराखंड में जेई और एई की भर्ती परीक्षा में धांधली करने वाला बीजेपी नेता संजय धारीवाल पुलिस की पकड़ से बाहर है। एसआईटी उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।
भर्ती धांधली में नाम सामने आने के बाद संजय धारीवाल की जिंदगी से जुड़े राज भी सामने आने लगे हैं। बताया जा रहा है कि संजय धारीवाल कभी रुड़की के नारसन में वीडियो गेम की दुकान चलाता था।
बाद में वो बीड़ी-सिगरेट का होलसेल कारोबार करने लगा। केबल का बिजनेस शुरू किया और लोगों को लोन भी देने लगा। इस दौरान उसकी रसूखदारों से नजदीकियां बढ़ने लगीं। उसने बीजेपी ज्वाइन कर ली और पिछले साल प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद उसने संगठन में मंडल अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी पा ली।
इस तरह राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए संजय धारीवाल सरकारी नौकरियों का सौदागर बन बैठा। बीजेपी के मंगलौर ग्रामीण मंडल के पूर्व अध्यक्ष संजय धारीवाल ने बीते 17 साल में जिस तरह तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं, उसने हर किसी को हैरान कर दिया।
साल 2005 में वीडियो गेम की दुकान चलाने वाला संजय 2017 में फाइनेंसर बन छोटे व्यापारियों को लोन देने लगा। बीजेपी में एंट्री के बाद उसने नारसन में जमीन खरीदी और वहां तीन मंजिला मकान बना लिया।
सितंबर 2022 में वो ग्राम पंचायत का चुनाव जीतकर मोहम्मदपुर गांव का प्रधान बन बैठा। जनवरी 2023 में बीजेपी ने उसे मंगलौर ग्रामीण का मंडल अध्यक्ष मनोनीत किया । हालांकि, लेखपाल भर्ती की धांधली सामने आने के बाद संगठन ने उससे इस्तीफा ले लिया। बता दें कि शुक्रवार को एई-जेई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक का खुलासा हुआ था।
जेल में बंद आरोपी निलंबित अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी, उसकी पत्नी रितु, शिक्षक राजपाल, उसके भतीजे संजीव दूबे, मनीष कुमार के अलावा दूसरे अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार, भाजपा नेता संजय धारीवाल एवं नितिन चौहान, सुनील सैनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
चर्चा है कि संजय धारीवाल के साथ कुछ कांग्रेस नेताओं का भी इस मामले में गठजोड़ है। फिलहाल संजय धारीवाल की गिरफ्तारी का इंतजार है, जिसके बाद भर्ती धांधली से जुड़े कई लोगों के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।