कहते हैं न राहों में चाहे कितने भी कांटे हों। मुश्किलें चाहे जितनी भी हों। समस्याएं चाहे कितनी जटिल क्यों न हो। लेकिन अगर एक बार इंसान ने मन बना लिया तो उसे कोई नहीं डिगा सकता। कुछ ऐसा ही देखने को मिला मैनपूरी में… उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले दिव्यांग सूरज तिवारी ने यूपीएससी परिक्षा में अपना परचम लहरा दिया है। सूरज ने लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो… लेकिन कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सूरज के दोनों पैर व एक हाथ नहीं है और दूसरे हाथ में केवल तीन उंगलियां है, लेकिन ये उसकी मेहनत और लगन ही थी जो आज सूरज ने ये मुकाम हासिल किया है।
उत्तर प्रदेश मैनपुरी जनपद के कुरावली तहसील के मोहल्ला घरनाजपुर निवासी राजेश तिवारी के दिव्यांग पुत्र सूरज तिवारी ने यूपीएससी परीक्षा में 971वीं रैंक पाकर मैनपुरी जनपद का नाम रोशन किया हैं। सूरज पर पूरे देश को गर्व है। पूरे प्रदेश और देश से लोग उनको बधाई दे रहे हैं। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. जैसे ही सूरज के घर वालों को यूपीएससी के रिजल्ट आने की जानकारी मिली सबकी धड़कने तेज हो गई। रिजल्ट देखने के बाद पता चला सूरज ने यह परीक्षा पास कर ली है। इसके बाद पूरे घर में खुशी की लहर दौड़ गई। सूरज के घर पर बधाई देने वालों को तांता लग गया। गांव के लोगों ने पूरे नगर में जमकर मिष्ठान वितरण किया।
ट्रेन दुर्घटना में गंवाए थें हाथ और दोनों पैर
यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दिव्यांग सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल में हुई। उन्होंने वर्ष 2011 में हाईस्कूल परीक्षा एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से तथा 2014 मे इंटरमीडिएट परीक्षा संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय बेवर से उत्तीर्ण की। इसके बाद जब वो बीएससी कर रहे थे तभी 24 जनवरी 2017 को दादरी गाजियाबाद में हुई एक ट्रेन दुर्घटना में घुटनों से दोनों पैर तथा कोहनी दाया हाथ व बाएं हाथ की दो उंगलियां गवा बैठे थे। काफी ज्यादा पैसे खर्च करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। हर तरफ छा रही उदासी को सूरज ने शिक्षा से दूर किया। सूरज ने आगे अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। वो लगातार अध्ययन करते रहे और 2021 में उन्होंने जेएनयू दिल्ली से बीए किया। सूरज एमए की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। बचपन से ही लग्नशील सूरज तिवारी आईएएस की तैयारी करने के लिए लगातार 18 घंटे तक पढ़ते थे। 2017 को उनके बड़े भाई राहुल तिवारी का निधन हो गया जिससे वह मायूस हो गए। पिता की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के बावजूद भी उनकी पढ़ाई जारी रखी।
सिलाई का काम करते हैं सूरज के पिता
सूरज तिवारी के पिता राजेश तिवारी पेशे से टेलर हैं. उनके पिता सिलाई कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. बेहद तंगी के बावजूद भी राजेश तिवारी ने अपने बेटे की इच्छा अनुसार उसे प्रेरित करते हुए व्यवधान नहीं आने दिया और उसका हौसला बनाए रखा. जिसका परिणाम आज सूरज ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली.
सूरज तिवारी के तीन भाई व एक बहन
सूरज तिवारी के 3 भाई औऱ 1 बहन है। जिनमें से बड़े भाई राहुल तिवारी की 25 मई 2017 को मृत्यु हो गई। छोटा भाई राघव तिवारी बीएससी कर रहा है और छोटी बहन प्रिया बीटीसी कर रही है। मां आशा देवी ग्रहणी तथा पिता राजेश तिवारी पेशे से टेलर हैं।
26 साल की उम्र में बन गए आईएएस
सूरज तिवारी ने जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फैलोशिप) उत्तीर्ण किया हैं। नेट रशियन लैंग्वेज ऑप्शनल के रूप में समाजशास्त्र चुना था। सूरज तिवारी साढे 26 साल की उम्र में ही आईएएस बन गए। सूरज तिवारी की जन्म तिथि 17 नवंबर 1996 है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश हुए सूरज के मुरीद
सूरज की इस कामयाबी पर समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव भी खुश हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करके कहा, ‘मैनपुरी के दिव्यांग सूरज तिवारी ने आईएएस की परीक्षा पहली बार में ही निकाल कर साबित कर दिया कि संकल्प की शक्ति अन्य सब शक्तियों से बड़ी होती है। सूरज की इस ‘सूरज’ जैसी उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएं।’