सत्य की हुई जीत, एक वर्ष पूर्व चले हाईवोल्टेज मामले में हाईकोर्ट ने इनको लगाई फटकार

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कहते हैं कि सत्य कमजोर हो सकता है मगर पराजित नहीं, यह बात समाजसेवी शुभम अंडोला के ऊपर सटीक बैठती है।

जी हां शुभम अंडोला वह शख्स हैं जिन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर अपनी मेहनत के दम पर हासिल किया है, मगर उनके कार्य में बाधाएं बहुत आई यहां तक कि जिनको हल्दूचौड़ क्षेत्र में वह अपना मानते थे उन्होंने ने भी उन्हें पीछे करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

मगर कहते हैं कि ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती यह वाक्य यहां पर बिल्कुल सटीक बैठता है। दरअसल मामला कुछ महा पुराना है जब समाजसेवी एवं युवा व्यवसाई शुभम अंडोला ने बताया की लगभग 1 वर्ष पूर्व नया बाजार हल्दूचौड़ स्थित अपने कंपलेक्स के बाहर दो विद्युत पोल लगाकर एक ट्रांसफार्मर लगवाने को लेकर विद्युत विभाग के पास अपना आवेदन लेकर गए थे।

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जैसे ही इसकी भनक क्षेत्रीय ग्राम प्रधान और अन्य गणमान्य नागरिकों तक पहुंची तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। मामला इतना बढ़ा कि 2 दिन तक धरना प्रदर्शन के रूप में हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा और ग्राम प्रधान सहित अन्य जनप्रतिनिधि विद्युत पोल हटाने की मांग पर अड़ गए और अपना धरना प्रदर्शन जारी कर दिया। इधर शुभम अंडोला बैकफुट पर आ गए और उन्हें ट्रांसफर लगाने की अनुमति नहीं मिल पाई।

हालांकि एक अन्य रास्ता निकालते हुए विद्युत विभाग ने शुभम अंडोला के कंपलेक्स तक विद्युत कनेक्शन पहुंचाया। मगर ग्राम प्रधान और तमाम क्षेत्रवासी उनके विरोध में धरना प्रदर्शन करने को आतुर हो उठे, और उन्होंने यह किया भी। हालांकि उन्होंने ने सभी का सम्मान करते हुए खुद को सही साबित करने का प्रयास किया मगर उनकी एक नहीं चली, अब शुभम अंडोला भी ऐसे ही हार मानने वालों में से नहीं थे।

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इन पत्रों से शुरू हुआ था मामला।

उन्होंने सभी की बात का सम्मान करते हुए उसी स्थान पर ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जहां सब का विरोध जारी था। उन्होंने किसी अन्य स्थान से विद्युत कनेक्शन ले लिया और स्वयं के द्वारा विद्युत विभाग की जमा की गई सिक्योरिटी को वापस लेने के लिए आवेदन किया गया। मगर उनके इस आवेदन को विद्युत विभाग ने दरकिनार कर दिया।

जिसके बाद शुभम अंडोला ने स्वयं को अकेला पाया, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वह मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए। जिसमें उन्होंने मुख्य वादी के रूप में ग्राम प्रधान मीना भट्ट और उनके पति भास्कर भट्ट को मुख्य पार्टी बनाया।

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इन पत्रों से शुरू हुआ था मामला– साथ ही पूरे घटनाक्रम में ग्राम प्रधान का समर्थन करने वाले जनप्रतिनिधियों में बच्चीधर्मा की ग्राम प्रधान रुकमणी नेगी, हल्दूचौड़ दीना की ग्राम प्रधान हेमा जोशी और प्रधान पति पूरन जोशी के अलावा तत्कालीन विधायक की बहु पूजा दुम्का सहित अन्य तमाम जनप्रतिनिधियों ने ट्रांसफार्मर ना लगाए जाने को लेकर पुरजोर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था) हालांकि ट्रांसफार्मर तो नहीं लगा।

मामला हाईकोर्ट में जाने के बाद मुख्य पार्टी बने मीना भट्ट और उनके पति भास्कर भट्ट की हाईकोर्ट में अनुपस्थिति के चलते कोर्ट ने अपना फैसला शुभम अंडोला के पक्ष में सुना दिया और जिस स्थान पर विवादित माहौल बनाया गया था उसी स्थान पर ट्रांसफार्मर लगाने के आदेश पारित किए हैं।

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