हरक की वापसी पर कांग्रेस के इन विधायकों ने खोला मोर्चा

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कांग्रेस के कुछ विधायकों ने भी विरोधी स्वर अपना लिए हैं। जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, धारचूला के विधायक हरीश धामी हरक सिंह रावत के विरोध में खड़े हुए हैं।उल्लेखनीय है कि साल 2016 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत अन्य विधायकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद ही हरीश रावत सरकार गिर गई थी। यही वह समय था जब उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। अब दोबारा हरक सिंह रावत कांग्रेस में वापसी के लिए बेताब हैं। उन्हें बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी ने निष्कासित किया है।

हरक सिंह रावत के विरोध में विधानसभा के पूर्व स्पीकर और वर्तमान में जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल भी खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि राजनीति में शुद्धता तभी आएगी जब ऐसे नेताओं के चुनाव लड़ने का अधिकार खत्म हो जाएगा। जब हरक सिंह रावत ने कांग्रेस छोड़ी थी तो उन्होंने दल बदल कानून की परवाह किए बिना सरकार को गिराया था। चुनाव लड़ने का अधिकार खत्म नहीं होगा तो आगे भी नेता ऐसे ही दलबदल करते रहेंगे।

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वहीं धारचूला के विधायक हरीश धामी का कहना है कि हरक सिंह रावत जैसों की वजह से हमारे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा था। उनके किए गए कर्म माफी के लायक नहीं है। अगर वह पार्टी में शामिल होते हैं तो कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। क्योंकि वह जरूरत के वक्त भाग गए थे। जबकि उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा का रुख नरम बना हुआ है।

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मौजूदा समय में रानीखेत के विधायक करन माहरा का कहना है कि पूर्व सीएम हरीश रावत की शर्त थी कि हरक सिंह रावत 2016 की घटना को लेकर माफी मांगें। इस समय इंटरनेट पर कई वीडियो वायरल हो रही है। जिसमें हरक सिंह रावत खुले तौर पर माफी मांगते हुए दिख रहे हैं। ऐसे में पार्टी हाईकमान को विचार करना चाहिए।

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