सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज पर गंभीर प्रभाव डालने वाले जघन्य अपराध में पीड़ित, अपराधी या शिकायतकर्ता के बीच समझौते के आधार पर एफआईआर को रद नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा किया गया तो एक खतरनाक मिसाल कायम होगी और लोग सिर्फ आरोपी से पैसे ऐंठने के लिए शिकायतें दर्ज कराएंगे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उन जघन्य अपराधों को अपराधी और शिकायतकर्ता या पीड़ित के बीच समझौते के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है, जो प्रकृति में निजी नहीं होते हैं और जिनका समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के साथ समझौते के आधार पर जघन्य और गंभीर अपराधों से संबंधित प्राथमिकी या शिकायतों को रद करने का आदेश देना एक खतरनाक मिसाल स्थापित करता है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम ने की पीठ ने कहा कि इसके अलावा, आर्थिक रूप से मजबूत अपराधी
हत्या, बलात्कार, दुल्हन को जलाने आदि जैसे गंभीर व जघन्य अपराधों के मामलों में भी मुखबिरों/ शिकायतकर्ताओं को पैसा देकर और उनके साथ समझौता करके मुक्त हो सकते हैं। शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेशों को रद कर दिया जिनके तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के कथित अपराध के लिए मार्च 2020 में दर्ज प्राथमिकी को रद कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि हत्या, बलात्कार, सेंधमारी, डकैती और यहां तक कि आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे अपराध न तो निजी हैं और न ही दीवानी। ऐसे अपराध समाज के खिलाफ हैं। पीठ ने कहा कि यही नहीं, ऐसे तो दुष्कर्म, हत्या, दहेज उत्पीड़न जैसे गुनाह करने के बाद आर्थिक रूप से मजबूत आरोपी पैसे देकर समझौता कर लेंगे और कानून से बच जाएंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बंगलूरू की एक महिला को अपने 11 साल के बेटे को अलग हो चुके पति के पास अमेरिका भेजने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे के सर्वोच्च हित और कल्याण के लिए जरूरी है कि वह अपने पिता के पास अपने पैतृक घर में रहे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें बच्चे की कस्टडी अमेरिका में रहने वाले पिता को सौंपने से इन्कार कर दिया गया था। पीठ ने कहा कि इस मामले में 11 साल का लड़का सामान्य अमेरिकी नागरिक है और उसके पास अमेरिकी पासपोर्ट भी है। उसके अभिभावकों के पास अमेरिका का स्थायी निवास कार्ड भी है।