उत्तराखंड : उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे श्रमिकों को बचाने को जल निगम की ‘ट्रंच लैस’ तकनीक का इस्तेमाल होगा। दून से जल निगम की ट्रंच लैस ओगर ड्रिलिंग मशीन को उत्तरकाशी भेजा है। साथ ही 800 एमएम के ह्यूम पाइप भी भेजे गए हैं।
उत्तरकाशी में सुरंग के भीतर लगातार मलबा गिर रहा है। ऐसे में श्रमिकों को किस तरह सुरक्षित बाहर निकाला जाए, इसकी योजना बनाने के लिए आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा, सीवर लाइन एक्सपर्ट और जल निगम के सुरेश चंद्र पंत के साथ मौके पर पहुंचे। जल निगम के एमडी ने मौका मुआयना के बाद बताया कि टनल में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए ट्रंच लैस ओगर ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा।ट्रंच लैस सीवर तकनीक में सड़कों के नीचे बिना सड़क को खोदे ही सीवर लाइन बिछा दी जाती है। इसी तकनीक से यहां भी 800 एमएम के बड़े सीवर लाइन के पाइप डाले जाएंगे। ये पाइप देहरादून और गाजियाबाद से उत्तरकाशी में घटनास्थल पर पहुंचाए जा रहे हैं।
इन्हीं पाइपों के जरिए श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा। ड्रिलिंग मशीन सोमवार रात तक मौके पर पहुंच गई हैं । उसके बाद फौरन ही काम शुरू कर दिया गया हैं । इसकी निगरानी के लिए सीवर लाइन एक्सपर्ट को भी मौके पर तैनात किया गया है। एसई दीपक मलिक भी पूरे समय मौके पर रहेंगे।
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उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए विशेषज्ञों ने 900 मिमी के एमएस स्टील पाइप को मलबे के आरपार करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सुरंग के अंददर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मियों ने मंगलवार को मलबे में बड़े व्यास के एमएस (माइल्ड स्टील) पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अधिकारियों ने यहां बताया कि सिलक्यारा सुरंग के धंसाव वाले हिस्से में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डाले जाएंगे, ताकि उसके जरिए अंदर फंसे श्रमिक बाहर आ सकें।
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उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह 5:30 बजे ढह गया था। जिसकी वजह से टनल के भीतर काम कर रहे 40 श्रमिक फंस गए। टनल में श्रमिकों के फंसे होने की सूचना पर तमाम प्रशासनिक अमला, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। मलबा हटाने का काम शुरू करने पर जब ऊपर से और मलबा गिरने लगा तो हैवी एक्सकैवेटर मशीन मंगवाई गई, जिसके बाद बचाव कार्य शुरू किया गया।
बचाव के काम में लगे अधिकारी ने दावा किया कि टीम सुरंग में 25 मीटर तक घुसने में कामयाब हो चुकी है। अभी लगभग 35 मीटर और मलबा साफ करना है। राहत और बचाव का काम दिन रात जारी है। नैशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) के असिस्टेंट कमांडेंट कर्मवीर सिंह भंडारी ने बताया है कि सुरंग के अंदर फंसे सभी 40 मजदूर सुरक्षित हैं। उन्हें पानी और खाना भिजवाया गया है। मजदूरों ने वॉकी-टॉकी के जरिए बताया है कि वे सुरक्षित हैं। मशीन के जरिए कैविटी से गिर रहे मलबे को रोकने की कोशिश की जा रही है। सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने और मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकेवेटर मशीनों को लगाया गया है। टनल में पानी की सप्लाई के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। खाना भी इसी पाइपलाइन के जरिए कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक भेजे गए हैं। मजदूरों ने कहा है कि उन्हें खाना मिल गया है।
स्टील पाइप आरपार करने का काम शुरू हुआ
सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए एक्सपर्ट्स की टीम विभिन्न तकनीकी अमल में ला रही है। सिंचाई विभाग के पांच विशेषज्ञ अभियंता भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों ने सभी मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए 900 एमएम के एमएस स्टील पाइप को मलबे के आरपार करने के लिए काम शुरू कर दिया है।
सीएम के दौरे के बाद और तेज हुआ कार्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के घटनास्थल के निरीक्षण के बाद सुरंग के अन्दर मलबे को युद्धस्तर पर हटाए जाने का कार्य किया जा रहा है। सुरंग की दीवार पर शॉर्टक्रेटिंग का कार्य भी किया जा रहा है। साथ ही विशेषज्ञों के परामर्श के बाद मजदूरों तक पहुंच बनाने के लिए मलबा हटाकर सेटरिंग प्लेट लगाकर एस्केप पैसेज तैयार करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
एंबुलेंस और राहत कर्मी तैनात
सुरंग से श्रमिकों को निकालने के बाद उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम में विशेषज्ञ और उचित औषधि उपकरण ऐंबुलेंस के साथ टनल गेट पर तैनात किए गए हैं। किसी भी विपरीत परिस्थिति में कार्रवाई के लिए निकटवर्ती जनपदों के चिकित्सालयों के साथ ही एम्स ऋषिकेश को हाई एलर्ट पर रखा गया है और ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडरों का भण्डारण किया गया है।
खोज और बचाव कार्यों के लिए पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, स्वास्थ्य विभाग और त्वरित कार्यवाही दल के सदस्यों सहित कुल 160 राहतकर्मी घटनास्थल पर तैनात किए गए हैं, जबकि घटनास्थल से 5 किमी की दूरी पर स्यालना के पास अस्थायी हैलीपैड का निर्माण किया गया है। चिन्यालीसौड़ हैलीपैड को भी राहत कार्यों के लिए चिह्नित किया गया है