बागेश्वर:- सौर उर्जा तथा पिरूल से बेरोजगार युवाओं को गॉव में ही रोजगार मिल सकता है, यह बात जिलाधिकारी विनीत कुमार ने उत्तराखण्ड अक्षय उर्जा विकास अभिकरण उरेडा द्वारा विकास भवन सभागार में आयोजित कार्यशाला के दौरान कही।
जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। साथ ही पिरूल से भी बिजली बनाने की योजना से भी बेरोजगार रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। जिलाधिकारी ने योजना के क्रियान्वयन में आ रही दिक्कतों के संबंध में चर्चा करते हुए वन विभाग, उरेडा, यूपीसीएल, उद्योग विभाग सहित अन्य रेखीय विभागों को आदेश दिए कि वह लाभार्थियों की परेशानियों को तत्काल प्रभाव से दूर करें। जिलाधिकारी ने कहा कि जंगलों में फैले पिरूल को एकत्र कर यदि इससे बिजली बनाने की योजना कारगर साबित होती है तो इससे न केवल बेरोजगारों को रोजगार मिल सकेगा बल्कि जंगलों में आग लगने की समस्या से भी निजात मिल सकती है। कार्यशाला के दौरान आवेदकों ने अपनी समस्या से जिलाधिकारी को अवगत कराया। जिलाधिकारी ने सभी आवेदकों की समस्याओं को ध्यान से सुनते हुए उनके निदान के लिए बैंक सहित अन्य विभागों को आदेशित किया।
कार्यशाला के दौरान परियोजना अधिकारी रॉकी कुमार ने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक औन लाइन पोर्टल पर 45 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से वर्तमान तक 12 परियोजनाएं आवंटित शेष पर ग्रिड फिजिबिलिटी तथा अन्य औपचारिकताएं प्रक्रियाधीन हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदान की गर्इ अनुमति से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के निवासियों को भी इस योजना का लाभ प्राप्त हो सकेगा। कार्यशाला के दौरान अधिशाषी अभियंता भाष्करानंद पांडेय ने सोलर यूनिट लगाने की तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आवेदक के सोलर प्लांट से ट्रांसफार्मर की अधिकतम 300 मीटर तक हवार्इ दूरी होनी चाहिए। उन्होने बताया कि यदि ट्रांसफार्मर 25 केवीए क्षमता का है तो 20 किलोवाट का पावर प्लांट अनुमन्य किया जाता है तथा यदि टांसफार्मर 25 केवीए से अधिक क्षकता का है तो 25 किलोवाट का पावर प्लांट टेक्निकल फिजिबल पाया जाता है। वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी बीएस शाही ने बताया कि प्रदेश में चीड़ के वनों में वनाग्नि रोकने तथा पिरूल से विद्युत उत्पादन तथा ब्रिकेट इकाइयों की स्थापना हेतु वर्ष 2018 में पिरूल नीति लागू की गर्इ है। कार्यशाला के दौरान लीड बैंक अधिकारी सहित सहकारी बैंक के प्रतिनिधियों ने भी आवेदकों को बैंक संबंधी जानकारी मुहैया करार्इ।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी डीडी पन्त, प्रभागीय वनाधिकारी बीएस शाही, लीड बैंक अधिकारी एनआर जोहरी, परियोजना अधिकारी रॉकी कुमार, महाप्रबन्धक उद्योग जीपी दुर्गापाल, अधिअभि विद्युत भाष्करानंद पाण्डेय, सहकारी बैंकों के प्रतिनिधि सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं आवेदक उपस्थित थे।