उत्तराखंड -यहां काली नदी बह रही है खतरे के निशान से ऊपर,अलर्ट जारी

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एक बार फिर राज्य में आपदा जैसे हालात पैदा हो गए हैं। आसमान से बारिश की शक्ल में बरस रही आफत से लोग हलकान हैं। खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी ने जिलेभर में अलर्ट जारी किया है। डीएम आनंद स्वरूप ने नदी किनारे रह रहे लोगों से सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील की। नदी किनारे जिन गांवों और भवनों को खतरा हो सकता है, वहां रह रहे लोगों को तत्काल सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने के आदेश दे दिए गए हैं। प्रशासन ने नदी किनारे और पुलों पर आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है। शुक्रवार को यहां काली नदी का जलस्तर चेतावनी स्तर 889.00 मीटर से ऊपर 889.60 मीटर के आसपास पहुंच गया। उफनाई काली नदी का रौद्र रूप देखकर लोगों को 2013 में आई आपदा की याद आ गई। पिथौरागढ़ से नेपाल की ओर बहने वाली काली नदी का जल स्तर बढ़ने से नेपाल के कई इलाकों में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाढ़ के चलते नेपाल में 60 लोग जान गंवा चुके हैं, 40 से ज्यादा लोग लापता हैं।

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पिथौरागढ़ में भूस्खलन की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं। खतरे को देखते हुए डीएम ने तहसील पिथौरागढ़, धारचूला और डीडीहाट के एसडीएम, पुलिस अधीक्षक, तहसीलदारों समेत सभी अधिकारियों से अलर्ट रहने को कहा है। जिले में काली नदी के साथ ही गोरी नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है। बीते दिनों गोरी नदी का जल स्तर बढ़ने से मुनस्यारी-जौलजीबी सड़क पर बंगापानी के लुम्ती के पास पानी सड़क तक पहुंच गया था, जिससे वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। जिले के मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में भी नदी-नाले उफान पर हैं। यहां नेशनल हाईवे पिछले तीन दिनों से बंद है। जिससे जिले में डीजल-पेट्रोल के साथ रसोई गैस की किल्लत हो गई है। जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहन सड़कों पर फंसे हैं, जिसका असर सप्लाई पर पड़ रहा है।

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