उत्तराखंड: यूक्रेन से सकुशल लौटे, तो अब सताने लगी ये टेंशन, कैसे होगी दूर?

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देहरादून: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध कब थमेगा, इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो। दोनों देशों के बीच शांतिवार्ता तो हुई। लेकिन, कोई हल नहीं निकला। युद्ध जारी है। रूस पीछे हटने को राजी नहीं है और यूक्रेन, रूस को जवाब देने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है। इन सब के बीच इस युद्ध से भारतीयों को भी चिंता सता रही है। हालांकि, कई छात्र लौट आए हैं, जबकि कुछ छात्र अब भी फंसे हुए हैं। इनके सामने युद्ध के अलावा भी एक और चुनाती है, जिसकी उनको अभी से टेंशन होने लगी है।


रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 24 फरवरी से जारी है। ये युद्ध कब थमेगा, इसका जवाब अब तक किसी के पास नहीं है। लेकिन, इस युद्ध से कई मुल्कों के नागरिक प्रभावित हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में भारत के छात्र और अन्य लोग भी हैं। उत्तराखंड के भी 280 से अधिक विद्यार्थी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 16 हजार नागरिक मिशनगंगा के तहत लौट आए हैं। लेकिन, सूमी में अब भी 700 छात्र फंसे हुए हैं, जहां स्थिति सबसे ज्यादा तनावपूर्ण बनी हुई है।

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छात्र इंतजार में हैं कि जल्द उन्हें भी भारत वापस लाया जाएगा। मिशन गंगा के तहत उन छात्रों की वतन वापसी के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। सरकार का कहना है कि जो लोग वहां अभी भी फंसे हुए हैं। उनकी वापसी भी जल्द होगी। लेकिन, जिन लोगों की वतन वापसी हुई है, उनका हर दिन युद्ध जैसा है। क्योंकि अब उनको चिंता अपने भविष्य को लेकर सता रही है।


उनकी चिंता बैंक के ब्याज भरने की है। उनकी चिंता इस बात की है अब हालात कब सामान्य होंगे। उनको इस बात की भी चिंता सता रही है कि अगर स्थिति सही नहीं हुई तो आगे की पढ़ाई कैसे होगी? बैंकांे से पढ़ाई के लिए जो लोन लिया गया है, उसे कैसे चुकाया जाएगा? ये तमाम सवाल उन बच्चों के जेहन में है जो यूक्रेन से इन मुश्किल हालातों के बीच अपने घर वापस लौट आए हैं। अभिभावकों को उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी करने के बाद एक रोज इस लोन से भी छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन, अब स्थिति बदल गई है।

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हालातों को देख फिलहाल अभिभावकों के साथ ही छात्र-छात्राओं के पास ऋण चुकाने का कोई रास्ता नहीं है। इन मुश्किल हालातों के बीच उम्मीद की एक किरण अभी भी बाकि है। कई विद्यार्थियों को आज भी उम्मीद है। कल का दिन यूक्रेन के लिए बेहतर होगा। लेकिन, यूक्रेन का हर दिन अब जंग के साथ शुरु होता है और जंग पर खत्म। युद्ध के इस मंजर से गुजरे कई भारतीय नागरिक, जिसमें छात्र-छात्राओं की संख्या सबसे ज्यादा, वो अब इस बात को भी मानने लगे हैं कि शायद यूक्रेन में हालात कभी सामान्य नहीं होंगे।


युद्ध की मार झेल रहा यूक्रेन कई संकटों से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था चर्मरा गई है। लाखों नागरिक वतन छोड़ चुके हैं। कई संस्थान खाली पड़े हैं। हालात के बेहतर होने का रास्ता अब तक नहीं दिखाई दे रहा है। इस बात से वाकिफ युद्ध के माहौल से गुजरे, वतन लौट आए। क्योंकि यूक्रेन के हालात पहले जैसे नही हुए तो छात्र छात्रों की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकेगी।

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बैंक का कर्ज़ ब्याज के साथ दिन प्रति दिन बढ़ता जाएगा। ये चिंता वतन लौटे छात्र-छात्राओं के हर दिन के सुकून पर भारी पड़ रही है। क्योंकि तबाह हुए यूक्रेन को युद्ध रुकने के बाद संवरने में कितना समय लगेगा। ये यूक्रेन भी नहीं जानता। यूक्रेन के हालात ठीक होने और युद्ध रुकने के बीच कई छात्र छात्राओं की आस केंद्र की मोदी और राज्य की सरकार से है कि वे उनकी मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोई रास्ता देश में ही निकाले। ताकि वक्त पर बैंक का लोन पूरा हो और वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

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