आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों ने एक महिला मरीज के पेट से 24 सप्ताह के भ्रूण के कैल्सीफाइड अवशेषों को सफलतापूर्वक निकाल दिया है। इस स्थिति को स्टोन बेबी या लिथोपेडियन कहते हैं। यह एक दुर्लभ घटना है जो आमतौर पर तब होती है जब पेट में गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। स्टोन बेबी शरीर द्वारा दोबारा अवशोषित होने के लिए बहुत बड़ा होता है, और बाद में कैल्सीफाइड हो जाता है।
लिथोपीडिया जैसी स्थिति 1 हफ्ते के गर्भ से लेकर पूर्ण अवधि के गर्भ के लिए हो सकती है। स्टोन बेबी जैसे बच्चे का दशकों तक निदान न होना और प्राकृतिक रजोनिवृत्ति के बाद ठीक हो जाना कोई असामान्य बात नहीं है। इस रोग का निदान अक्सर तब होता है जब रोगी की अन्य स्थितियों के लिए जांच की जाती है जिसके लिए एक्स-रे अध्ययन की आवश्यकता होती है।
क्या होता है स्टोन बेबी?
बता दें कि विशाखापत्तनम के अनाकापल्ले जिले की 27 साल की मरीज जो दो बच्चों की मां है उसके पेट में काफी दर्द हुआ था जिससे पीड़ित होकर वह अगस्त के तीसरे सप्ताह में केजीएच पहुंची, जिसके बाद पता चला कि उसके पेट में स्टोन बेबी है जिसमें बच्चे की पसली का पिंजरा, खोपड़ी, पेल्विक हड्जी, स्कैपुला आदि हटा दिए गए हैं। मेडिकल टीम ने 31 अगस्त को सर्जरी की। ऑपरेशन सफल रहा और महिला ठीक हो रही है।