आपदा सुरक्षित उत्तराखंड पर हुआ मंथन, इन योजनाओं पर होगा काम

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देहरादून : उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण , आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग उत्तराखंड सरकार के और से आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस मनाया गया। यह दिवस आपदाओं के प्रति सजगता, सतर्कता और उससे बचने के उपायों के बारे में आम जनमानस के बीच जनजागरूकता बढ़ाने हेतु मनाया जाता है। उत्तराखंड के विभिन्न विभागों और एजेंसियों को विभिन्न आपदाओं से जुड़े विषयों से अवगत कराने के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा सुरक्षित उत्तराखंड विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी।इस कार्यशाला में उत्तराखण्ड राज्य में आपदा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेंद्र सिंह, सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने NDMA द्वारा आपदा प्रबंधन के और से लिये जा रहे निर्णयों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने नीति निर्धारण में सामाजिक प्रतिभागिता के महत्व पर बल दिया।

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कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, हेस्को ने उत्तराखंड राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश में आपदा नीति निर्धारण के विषय में विशेष कदम उठाने की बात कही। साथ ही उन्होंने शिक्षण संस्थानों के माध्यम से आपदा प्रबंधन संबंधी जानकारी को जन-जन में प्रचारित करने पर बल दिया।
एसए मुरुगेशन, सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के कुशल निर्देशन में संपन्न कार्यशाला में भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकगण, तथा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, यथा, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, समस्त अभियांत्रिकी विभाग, व अन्य रैखिक विभागों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।आपदा जोखिम न्यूनीकरण की इस कार्यशाला की शुरुआत में डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग ने गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के सत्रों का सारांश प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड राज्य सरकार और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी।

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कार्यक्रम में जन जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आपदा से जुड़े विभिन्न विषयों की जागरूकता सामग्री एवं राज्य आपदा प्रतिवादन बल ने खोज एवं बचाव कि प्रदर्शनी का भी आयोजन किया। कार्यशाला में विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों तथा अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभवो को साझा करते हुए आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, यथा आपदा पूर्वानुमान, राहत-बचाव, रिकवरी और सामाजिक प्रतिभागिता के महत्व पर चर्चा की।कार्यशाला में डॉ. ऐस सत्यकुमार,वैज्ञानिक वन्यजीव संस्थान ने ह्यूमन वाल्डलीफ कन्फलीक्ट, डॉ. पियूंश रौतेला, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पारम्परिक आपदा प्रबंधन तकनीकी, डॉ. कलांचंद, वडिया इंस्टिट्यूट ने आपदा संवेदनशीलता, डॉ कमल, IIT रुड़की ने भूकंप पूर्वनुमान चेतावनी तंत्र, डॉ. प्रकाश चौहान, निदेशक IIRS ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में स्पेस तकनीकी विषय से प्रतिभागियों को अवगत कराया।

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