प्रदेश में भाजपा सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ 21 नवंबर को आयोजित प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच को लेकर संगठन में हंगामा हो रहा है। लेकिन कांग्रेस के चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने सचिवालय कूच के लिए अपनी कमर कसी हुई है। लेकिन पार्टी संगठन को औपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं है। वहीं सचिवालय कूच के पोस्टरों में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तस्वीर के साथ पार्टी का निशान हाथ तो लगाया गया है, लेकिन प्रदेश के किसी भी नेता को पोस्टरों में जगह नहीं दी गई है। यहां तक कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी पोस्टर से गायब हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में अपनी उपेक्षा से चकराता विधायक प्रीतम सिंह क्षुब्ध हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में वह प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए ही कार्य करना चाहते थे, लेकिन इंदिरा हृदयेश की मौत के बाद उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्हें सिर्फ एक बार ही सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने का अवसर मिला और विधानसभा भंग हो गई। नेता प्रतिपक्ष बतौर लंबा कार्यकाल न मिलने की स्थिति को देखते हुए ही इस पद को नहीं लेना चाहते थे, उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बने रहने की चाहत थी। जिससे कि टिकट वितरण में अहम भूमिका निभा सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उनकी उनकी जगह गणेश गोदियाल को अध्यक्ष बना दिया गया। मगर नाराज प्रीतम सिंह ने फिलहाल कांग्रेस में रहते हुए ही अपने विरोधियों को अपने अंदाज में ताकत दिखाने का शायद मन बना लिया है।
ये है प्रीतम का कहना
21 नवंबर को आयोजित प्रीतम सिंह के सचिवालय कूच को लेकर कांग्रेसी नेताओ का आरोप है कि टीम प्रीतम की तरफ से जारी पोस्टर से प्रदेश स्तरीय नेताओं के चेहरे गायब है। वहीं गायब चेहरों को लेकर खुद प्रीतम सिंह का कहना है कि 21 नवंबर का सचिवालय कूच सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ है। जिसमें उन्होंने सभी से शामिल होने का आह्वाहन किया है। अब जिसको आना है आए, जिसको नही आना वो नही आए। साफ है की कांग्रेस के भीतर सुलग रही गुटबाजी की चिंगारी खुलकर भड़कने लगी है। जिसमें प्रीतम सिंह का सचिवालय कूच आग में घी डालने का काम करेगा।
प्रीतम का बताया जा रहा व्यक्तिगत कूच
प्रदेश की भाजपा सरकार की घेराबंदी करते हुए कई भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था समेत अन्य मुद्दों को प्रीतम हवा देने की फिराक में हैं। उन्होंने 21 नवंबर को सचिवालय कूच का ऐलान कर दिया है। लेकिन खास बात यह है कि यह कार्यक्रम कांग्रेस संगठन का नहीं, बल्कि प्रीतम सिंह का व्यक्तिगत बताया जा रहा है। कांग्रेस संगठन को इस कार्यक्रम की कोई औपचारिक सूचना नहीं है और न ही उसका कोई योगदान इसमें सुनिश्चित किया गया है।