गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ में गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता तथा पूर्व सहायक निदेशक शिक्षा विभाग गौरी दत्त ओझा दंपति का 61 वां विवाह दिवस पांच कुंडीय यज्ञ व युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा जी आचार्य एवं वंदनीय माता भगवती शर्मा के विग्रह पूजन एवं उनके श्री चरणों में श्रद्धा के पुष्प अर्पित करने के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के अलावा हल्दूचौड़ क्षेत्र के गायत्री परिजनों ने भाग लिया।
ज्ञात हो कि सन् 1987 में हल्दूचौड़ में गायत्री शक्तिपीठ की नींव रखने में पूर्व सहायक निदेशक गौरीदत्त ओझा ने स्थानीय लोगों के सहयोग से अग्रणी भूमिका निभाई राजकीय सेवा कार्य में व्यस्तता के चलते उन्होंने राम सिंह मेहता जी को शक्तिपीठ के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी । श्री ओझा उस समय राजकीय इंटर कॉलेज हल्दूचौड़ में प्रधानाचार्य के पद पर आसीन थे। यह बताते हैं कि उस समय सरकार का आदेश आया जिसमें सभी प्रधानाचार्यों को शांतिकुंज हरिद्वार जाकर 5 दिन की नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण शिविर में भागीदारी करनी थी। अपने संस्मरण को सुनाते हुए बेहद भावुक हुए श्री ओझा जी ने कहा कि यह परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा जी की ही कृपा थी कि मेरा जीवन हरिद्वार यात्रा से आमूलचूल परिवर्तित हो गया तब तक व्यसनों और शानो शौकत को ही जीवन समझा था। परम पूज्य गुरुदेव से मिलकर जीवन का असली महत्व समझ में आया। हल्दूचौड़ में प्रधानाचार्य निवास पर ही साप्ताहिक यज्ञ प्रारंभ किया और धीरे-धीरे इस शक्तिपीठ निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। रिटायरमेंट के बाद 5 साल गायत्री शक्तिपीठ में रहकर समय दान भी किया। अभी भी इस उम्र में हर पर्व में शक्तिपीठ आने का प्रयास करते हैं। नियमित अंशदान देना तो कभी भूलते ही नहीं। श्री ओझा ने इस दौरान गायत्री परिवार के सदस्यों तथा स्थानीय लोगों के मिले जन सहयोग पर भी आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि गाय गीता गंगा गायत्री हमारे भारतीय संस्कृति के चार आधारभूत स्तंभ हैं इनका आश्रय लेने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं हो सकता है उन्होंने कहा कि नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति पर हमेशा से ही वेदमाता गायत्री का रक्षा कवच बना रहता है जो उसे बड़ी से बड़ी विषम एवं दुर्गम परिस्थितियों से पार लगाने में प्रभावशाली है