आखिर क्यों नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में लगाई रोक,जानिए वजह

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नैनीताल – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर सरकार और न्यायपालिका आमने-सामने आ गई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी आरक्षण नियमावली पर सवाल उठाते हुए पूरे पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है। यह फैसला ऐसे वक्त में आया है, जब राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को ही चुनाव की अधिसूचना जारी की थी और सोमवार से जिला स्तर पर तैयारियां शुरू होनी थीं।

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हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ ने साफ कहा कि सरकार की ओर से लागू की गई आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया नियमों के अनुसार नहीं है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि सरकार पहले ही कोर्ट को स्थिति स्पष्ट करने में विफल रही, बावजूद इसके उसने चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी।

क्या है मामला?
बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि सरकार ने 9 जून को नई आरक्षण नियमावली जारी की और 11 जून को पहले से लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू कर दिया। इससे कुछ पंचायत सीटें लगातार चौथी बार भी आरक्षित हो गईं, जो उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है।

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सरकार vs कोर्ट –
राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह प्रक्रिया नियमों के तहत की गई और इसकी जानकारी आयोग को समय पर दी गई। लेकिन कोर्ट ने पाया कि मामला विचाराधीन होने के बावजूद सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी, जो न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना है।

अब क्या होगा?
अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की संपूर्ण प्रक्रिया स्थगित हो गई है। सरकार को हाईकोर्ट के सामने जवाब दाखिल करना होगा कि किस आधार पर उसने आरक्षण रोटेशन को संशोधित किया। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव की तैयारियों हो हल्ले पर फ़िलहाल ब्रेक लग गया है

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