उत्तराखंड में एक अचंभित करने वाला मामला सामने आया है। यहां शव के अंतिम संस्कार के बाद वह युवक तीसरे दिन जीवित घर लौट आया है। इससे उसके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है। जानें इस घटना में टनिंग प्वाइंट कहां से आया।
यूएस नगर जिले के खटीमा निवासी धर्मानंद भट्ट का 42 वर्षीय पुत्र नवीन भट्ट अज्ञात कारणों के चलते परिवार और बच्चों से काफी समय से अलग रहता था। परिजनों को उसका ठिकाना भी मालूम नहीं था। बीते 25 नवंबर को परिजनों को कोतवाली से सूचना मिली कि सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में बीमारी के चलते नवीन की मौत हो गई है।
परिजनों ने शव की शिनाख्त की
सूचना मिलते के बाद पिता धर्मानंद भट्ट, केशव भट्ट और अन्य ग्रामीण शव लेने हल्द्वानी चले गए थे। परिजनों ने शव की शिनाख्त नवीन भट्ट के रूप में की।
बनबसा में हुआ अंतिम संस्कार
नवीन की मौत की खबर सुन परिजनों में कोहराम मच गया था। बीते 26 नवंबर को बनबसा के शारदा घाट पर विधि-विधान के साथ शव की अंन्तेष्टि की गई। चिता को मुखाग्नि दी गई।
घर पर चल रहा था क्रियाकर्म
शव के अंतिम संस्कार के बाद घर पर क्रिया कर्म की परंपराएं निभाई जा रही थी। तमाम रिश्तेदार शोक व्यक्त करने घर आ रहे थे। पूरे घर का माहौल गमगीन था।
एक कॉल ने बदल दिया सीन
अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद 29 नवंबर को नवीन के भाई केशव दत्त भट्ट जो कि रुद्रपुर में एक होटल चलाता है, उसे दोस्त का फोन आया। दोस्त ने केशव से पूछा कि उसका होटल बंद क्यों है। केशव ने बताया कि उसके भाई की मौत हो गई है। उसकी क्रिया चल रही है इसी लिए होटल बंद है। इसपर फोनकर्ता युवक हक्का-बक्का रह गया।
वीडियो कॉल कर बताया मैं जिंदा हूं
फोनकर्ता ने केशव को बताया कि नवीन तो जिंदा है। उसने उसे अभी रुद्रपुर में देखा है। उस युवक ने तत्काल परिजनों को नवीन से वीडियो कॉल कराई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
जिंदा निकला नवीन लौटा घर
नवीन को जीवित देख परिजन क्रियाकर्म छोड़ तत्काल रुद्रपुर रवाना हो गए थे। उसके बाद वह नवीन को अपने साथ घर ले आए। नवीन के जीवित होने की सूचना मिलते ही उनके घर पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। परिवार में खुशी का माहौल है।
तो किसके शव का किया अंतिम संस्कार
नवीन के जीवित लौटने के बाद ये सवाल खड़ा हो रहा है कि जिसका अंतिम संस्कार किया गया वह शख्स कौन था। पुलिस ने जिस आधार पर अज्ञात शव की तस्दीक नवीन के रूप में की उसके पास फिटनेस प्रमाण पत्र का आवेदन फार्म और फोटो कैसे पहुंचा।
मिलती-जुलती कठ काठी पर खा गए धोखा
नवीन के परिजनों का कहना है कि एक जैसी कद काठी और मिलते-जुलते चेहरे के कारण वह लोग धोखा खा गए थे। उन्होंने एक साल से नवीन को देखा भी नहीं था। इसलिए उनसे शिनाख्त में गलती हो गई थी।
अब दोबारा होगा नामकरण
श्रीपुर बिचुवा निवासी विनोद कापड़ी इस घटना से अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। अगर वह जिंदा वापस आ जाए तो हिंदू संस्कृति के अनुसार उसके नामकरण से लेकर उपनयन और विवाह संस्कार भी करना पड़ता है। यह सभी कार्य समाज के बड़े बुजुर्गों से राय मशविरे के बाद किए जाएंगे।