लालकुआं
3 जनवरी
देश की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और जातिवाद के खिलाफ जीवन भर योद्धा रहीं सावित्री फुले की 194 वीं जयंती पर छात्र संगठन आइसा द्वारा विचार गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया और सावित्री बाई फुले के जीवन और संघर्ष पर आधारित फिल्म दिखाई गई।
कार्यक्रम में बोलते हुए भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, सावित्रीबाई फुले ने आज से 175 साल पहले के रूढ़िग्रस्त समाज में बालिका शिक्षा के लिए जो काम किया वह आज भी अनुकरणीय है। पितृसत्तात्मक, ब्राह्मणवादी,जातिवादी समाज से लड़ते हुए सावित्रीबाई फुले ने बालिका शिक्षा के लिए फातिमा शेख के घर में पहला कन्या स्कूल खोला।फुले दंपती ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख के साथ मिलकर स्कूल चलाया। हिंदू-मुस्लिम एकता के दम पर उन्होंने समाज में फैली रुढ़ियों पर जिस प्रकार से गहरी चोट की, वह आज के धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले दौर में बहुत प्रेरणास्पद है। आज धार्मिक विभाजन की दीवार को ध्वस्त करते हुए सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख की विरासत को आगे बढ़ाना वक्त की मांग है।
आइसा जिलाध्यक्ष धीरज कुमार ने कहा कि, आज जब शिक्षा का बाजारीकरण होने के कारण शिक्षा महंगी हो गई है, जिसकी वजह से एक बार फिर स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। लाखों रुपए की फीस देकर उच्च शिक्षा में प्रवेश कर पाना महिलाओं के लिए चुनौती है। लिंगभेद पर टिके इस समाज में शिक्षा के बाजारीकरण और निजीकरण की पहली मार महिलाओं और वंचित तबकों पर ही पड़ रही है। सावित्री बाई फुले को याद करते हुए हमें सबके लिए समान और मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करने के संघर्ष को तेज करना होगा।
कार्यक्रम में डा कैलाश पाण्डेय, धीरज कुमार, सविता, अजीम, अजय यादव, निशा, पूनम, कमल जोशी, काजल , अस्मिता, नैन सिंह कोरंगा, विमला रौथाण, आंचल, प्रिया, किशन, निर्मला शाही, रचना, आराधना, अनीस, संस्कृति , माही आदि शामिल रहे।