अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत की रहने वाली रेखा पांडे ने मिसाल पेश की है । वे पिछले एक महिने से टैक्सी चलाने का काम कर रही है । रेखा सुबह 8 बजे से रानीखेत और फिर दिन में हल्द्वानी की सड़को पर टैक्सी के लिये सवारी ढूंढती है । इस दौरान उन्हें कभी तेज़ धूप तो कभी जोरदार बारिश का भी सामना करना पड़ता है लेकिन उनके ऊपर अपने परिवार की देखभाल करने की जिम्मेदारी है इसलिए वो कैसा भी मौसम बो घबराती नहीं हैं । घर का पूरा काम काज और बीमार पति की सेवा करना, रेखा यह सब मुस्करा कर कर लेती है । रेखा का ये कदम स्वरोजगार की ओर महिलाओं के अपने आप में मिशाल है।
रेखा के पास अपनी टैक्सी है जिसे वो खुद ड्राइव करती है, रेखा बताती है की पति की तबियत कगराब होने के बाद उन्होंने टैक्सी का काम खुद संभाला और अब सब कुछ आसान होता चला जा रहा है । रेखा ने डबल M.A किया है, साथ ही LAW और NET की तैयारी भी कर रही हैं।
पहाड़ की महिलाओं के लिए प्रेरणा है रेखा
उनका कहना है कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता । महिलाओं को अब चूल्हा चौका तक ही सीमित रहने की जरूरत नहीं है बल्कि घर से बाहर निकलने की जरूरत है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और महिला सशक्तिकरण में अपना बेहतर योगदान दे सके । जो महिलाएं आज भी सिर्फ और सिर्फ घर की चारदीवारी को लाँघने के लिए सौ बार सोचती है, लेकिन तीन बेटियों की मां होने के बावजूद रेखा महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए प्रेरित कर रही है ।