राजधानी के दून यूनिवर्सिटी रोड स्थित एक फर्म का फर्जी बिल दिखाकर 1.65 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। फर्म ने दिल्ली की जिन फर्मों के बिल दर्शाए थे, उनके प्रमाण नहीं मिले हैं। राज्य कर विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है। यह फर्म प्रचार सामग्री की आपूर्ति करती है।
जानकारी के अनुसार, राज्य कर विभाग को सरकारी विभागों से टेंडर प्राप्त करने वाली कई फर्मों द्वारा जीएसटी चोरी किए जाने की सूचना मिली थी। इस पर आयुक्त राज्य कर के निर्देश पर सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल एवं टीका राम चन्याल की टीम ने फर्म स्वामी के दून यूनिवर्सिटी स्थित व्यापार स्थल एवं घर पर जाकर जांच की।
इसमें पाया गया कि फर्म ने उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से लगभग 18 करोड़ का भुगतान प्राप्त किया है। फर्म ने जीएसटी चोरी के उद्देश्य से दिल्ली की कुछ फर्मों के फर्जी इन्वाइससे बोगस इन्वाइस प्राप्त किए। इन फर्मों के पास बेचे गए माल की न तो खरीद थी और न ही उसके परिवहन का कोई प्रमाण था।
फर्म के घोषित व्यापार स्थल पर कोई काम होता नहीं पाया गया
गोपनीय जांच एवं डाटा एनालिसिस में मिला कि ये बोगस फर्में टायर की खरीद अस्तित्वहीन फर्मों से दिखा रही थी और आगे दून की फर्म को पेंटिंग, फ्लैक्स की बिक्री दिखा रही थी। प्रथम दृष्ट्या लगभग 1.65 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला प्रकाश में आया है। फर्म के घोषित व्यापार स्थल पर कोई काम होता नहीं पाया गया।
फर्म स्वामी ने घर पर जांच के दौरान 33.20 लाख रुपये जमा कराए। बाकी टैक्स की ब्याज सहित वसूली के लिए कार्रवाई की जा रही है। राज्य कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा, हरिद्वार ने भी जीएसटी चोरी कर रही फर्मों पर कार्रवाई करते हुए 20 लाख रुपये जमा कराए।