लिव-इन रिलेशनशिप पर सरकार नरम, कोर्ट में दाखिल किया शपथ पत्र — कई नियमों में हो सकती है ढील

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देहरादून – प्रदेश सरकार अब समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़ी सूचनाओं में ढील देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए गृह विभाग ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है। सरकार का कहना है कि नए प्रावधान इस तरह बनाए जाएंगे कि निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन न हो। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता कानून लागू किया है। इस कानून में विवाह पंजीकरण और लिव-इन रिलेशनशिप की अनिवार्य सूचना देने का प्रावधान किया गया था।

हाल ही में कुछ व्यक्तियों ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि लिव-इन संबंधों से जुड़ी सूचनाओं की बाध्यता व्यक्तिगत निजता के अधिकार का हनन करती है। सरकार ने अदालत में दिए शपथ पत्र में कहा है कि मौजूदा नियमों में शिथिलता (relaxation) देने पर विचार किया जा रहा है, ताकि कानून और संविधान के निजता के प्रावधान में संतुलन बनाया जा सके।

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लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को पहले से तलाकशुदा या पूर्व लिव-इन संबंध की जानकारी देने से छूट दी जा सकती है।

लिव-इन संबंध समाप्त होने के बाद गर्भधारण या बच्चे के जन्म की सूचना देने की अनिवार्यता खत्म की जा सकती है।

लिव-इन में आने वाले बालिग जोड़ों के अभिभावकों को सूचना देने का नियम हटाया जा सकता है।

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लिव-इन संबंधों में अन्य संबंधों की जांच की व्यवस्था समाप्त की जा सकती है।

पंजीकरण के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता में भी राहत दी जा सकती है।

सचिव गृह शैलेश बगौली ने कहा कि — “सरकार का प्रयास है कि मौजूदा नियमों से निजता के अधिकार से कोई टकराव न हो। इसी आधार पर नियमावली में बदलाव की प्रक्रिया चल रही है

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