हल्द्वानी: देवभूमि ट्रक ऑनर्स महासंघ की छह सूत्रीय मांगें नहीं माने जाने पर सोमवार से कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में सब्जी और राशन का संकट खड़ा हो सकता है। हड़ताली ट्रक मालिकों के समर्थन में सब्जी और राशन व्यापारियों ने 15 दिसम्बर का अल्टीमेटम देते हुए कारोबार बंद करने का ऐलान किया है। ऐसे में रविवार तक महासंच की मांगें नहीं माने जाने पर पूरे कुमाऊं की सब्जी और राशन की सप्लाई बंद होने की आशंका पैदा हो गई है
देवभूमि ट्रक ऑनर्स महासंघ बीते चार दिनों से अपनी छह सूत्रीय मांगों के लिए हड़ताल कर रहा है लेकिन फिलहाल हल्द्वानी से पर्वतीय क्षेत्रों के लिए फल, सब्जी और राशन की सप्लाई अन्य निजी वाहनों से हो रही है। शुक्रवार को अपनी मांगों को समर्थन देने के लिए ट्रक संचालकों ने मंडी कारोबारियों के साथ वार्ता की। इस मौके पर महासंघ ने मंडी व्यापारियों से अपनी मांगों के लिए समर्थन मांगा। मंडी व्यापारियों बताया कि शादियों का सीजन होने से रविवार तक के ऑर्डर लिए गए हैं। इसलिए 15 दिसंबर तक सामान की सप्लाई की जाएगी। ऐसे में रविवार तक मांगें नहीं माने जाने पर सोमवार 16 दिसंचर से कारोबार बंद कर हड़ताल का समर्थन में कारोबार बंद रखने की घोषणा की गई। उधर, आलू फल आढ़ती एसोसिएशन के संरक्षक जीवन कार्की ने बताया कि ट्रक संचालक मंडी के व्यापारियों के कारोबार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। लगातार उत्पीड़न से ट्रक चालक और मालिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इसके लिए उनकी हड़ताल को समर्थन दिया जा रहा है। गल्ला मंडी मर्चेट एसोसिएशन के अध्यक्ष तरुण बंसल ने कहा कि अपनी जायज मांगों के लिए ट्रक ऑनर्स महासंघ हड़ताल कर रहा है। उनकी मांग नहीं
माने जाने पर सोमवार से अनिश्चितकाल के लिए कारोबार बंद किया जाएगा। बैठक में ट्रक ऑनर्स महासंघ के अध्यक्ष राकेश जोशी, आलू फल आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश जोशी, दुर्गादत्त तिवारी, दीपक तिवारी, दीपक पाठक, जीबन सिंह कार्की, नवीन गिरी गोस्वामी, नवीन बेलवाल, भास्कर जोशी, गिरीश मेलकानी, कैलाश लोहनी, कृष्ण कुमार, शेर सिंह कोरंगा, कैलाश पाठक आदि मौजूद रहे।
चार दिन में 35 लाख से अधिक का नुकसान
शुक्रवार को ट्रांसपोर्ट नगर में बड़ी संख्या में ट्रक खड़े नजर आए, तो दूसरी और ऑटोमोबाइल और मोटर पार्ट्स की दुकाने, गैराज खाली दिखाई दिए। ट्रांसपोर्ट नगर के कारोबारियों की मानें तो मोटर पार्ट्स, टायर, डेटिंग-पेटिंग, मोटर गैराज, बैटरी, फेब्रिकेटिंग आदि के काम न होने से ही चार दिनों में 30 से 35 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। मोटर मिस्त्री बाहर बैठे वाहनों का इंतजार करते दिखे तो एक- दो जगह गाड़ियां मरम्मत को आए।