सर्व मंगल की कामना के लिए 3 वर्ष की अखंड साधना में बैठे सरल साधक हरीश चंद्र कांडपाल

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महालक्ष्मी मंदिर मैं सवा लाख दीपों की आरती का कार्यक्रम भी संपन्न करा चुके हैं
हल्दूचौड़ दूरसंचार विभाग से रिटायर्ड अधिकारी तथा भारत संचार श्री अवार्ड से सम्मानित सरल साधक हरीश चंद्र कांडपाल के अंदर परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी है पूर्व में भी 151 दिन कर चुके हैं साधना सेवानिवृत्त होने के बाद नशा मुक्ति अभियान के तहत 21 किलोमीटर लंबी मैराथन दौड़ लगा चुके हैं वहीं विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान साधना के जरिए हमेशा लोकहित में संलग्न रहना भी उन्होंने अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लिया है 30 जून 2013 को दूरसंचार विभाग से रिटायर हुए बच्चीधर्मा गांव निवासी हरीश चंद्र कांडपाल ने अपने सर्विस के दौरान भी सराहनीय कार्य किया जिसको देखते हुए उन्हें वर्ष 2002 में 17 मई को विश्व संचार दिवस के अवसर पर भारत संचार श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया सेवानिवृत्ति के बाद हरीश चंद्र कांडपाल का मन हमेशा परोपकार के लिए द्रवित होता रहा और 3 नवंबर 2019 को हल्द्वानी में नशा मुक्ति अभियान के तहत आयोजित हाफ मैराथन दौड़ में हिस्सा लेकर 21 किलोमीटर लंबी दूरी का सफर तय किया माता पूर्णागिरी के अनन्य भक्त हरीश चंद्र कांडपाल ने अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युग ऋषि वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के ध्येय वाक्य गृहस्थ एक तपोवन को सार्थक करते हुए अपने आवास में ही साधना कक्ष का निर्माण कर सर्व मंगल की कामना के लिए अनवरत साधना का बीड़ा उठाया इससे पूर्व उन्होंने 10 अक्टूबर 2018 को महामंडलेश्वर सोमेश्वर यति महाराज जी के पावन सानिध्य में अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर बेरी पड़ाव में शतचंडी महायज्ञ का आयोजन कराया तथा उन्होंने अपने हाथ से निर्मित सवा लाख वातियों से विराट दीप यज्ञ भी संपन्न कराया सवा लाख वातियों का दीप यज्ञ अब तक का इस मंदिर का सबसे बड़ा विराट दीप यज्ञ माना जाता है वर्ष 2020 में उनके द्वारा 151 दिन की अखंड साधना करते हुए सर्व मंगल की कामना की गई इस दौरान उन्होंने लगभग 6100 पाठ भी संपन्न कराते हुए महायज्ञ का आयोजन कराया अगले वर्ष यानी 2021 में भी उन्होंने 121 दिन की अनवरत साधना कर लोकहित की कामना की इस दौरान वे केवल सुबह एक मुट्ठी अंकुरित चने का सेवन करते हैं और शेष समय में निराहार रहते हैं अबकी दफा वे 16 अप्रैल हनुमान जयंती के दिन से 108 रामचरितमानस के नवान्हपारायण का संकल्प ले चुके हैं यह साधना उनकी लगभग 3 वर्ष 11 दिन तक चलेगी इस दौरान वे अपने साधना कक्ष में ही अपना पूरा समय व्यतीत करते हैं सिर्फ शौच आदि देनिक कर्म के लिए ही वे अपने साधना कक्ष छोड़ते हैं विद्वान आचार्य प्रख्यात कथावाचक पंडित दुर्गा दत्त त्रिपाठी के सानिध्य में उन्होंने इस अखंड साधना का संकल्प लिया है जो 2025 में हनुमान जयंती के दिन संपन्न होगी

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