उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले ना कांग्रेस, ना आप,अमित शाह के निशाने पर हरीश रावत

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उत्तराखंड में बहुत जल्द विधानसभा चुनाव है। भाजपा-कांग्रेस समेत आप-यूकेडी और अन्य पार्टियां जीत के लिए अभी से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. केंद्र में भाजपा की सरकार है और ऐसे में डबल इंजन की सरकार का दावा है कि उत्तराखंड की सत्ता फिर से भाजपा हासिल करेगी।हालांकि शाह जनता से भाजपा और युवा सीएम को एक और मौके देने की अपील कर गए। लेकिन वो हरीश रावत नाम की माला भी जप गए। चुनावी बयान में पक्ष विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप आम बात है.

लेकिन उत्तराखंड में तो दो ही नाम चर्चाओं मेें रहते हैं एक हरदा एक हरक जब एक पूरी पार्टी सभी दलों को छोड़कर सिर्फ एक शख्स को निशाना बनाए तो इस बात कई सियासी मायने निकाले जा सकते है, और ऐसा ही कुछ बीजेपी में हो रही है. उत्तराखंड सरकार तो छोड़िए केंद्रीय मंत्रियों के निशाने पर ना कांग्रेस और ना आप, निशाने पर है तो सिर्फ हरीश रावत हैं।हरीश रावत की सक्रियता से कहीं ना कहीं बीजेपी को डर है कि कहीं मोदी लहर की दिशा बदल ना जाए और इसलिए केंद्र से दिग्गज आकर सिर्फ और सिर्फ हरीश रावत पर हमला कर रहे हैं। किसी के जुबां पर किसी भी कांग्रेस विधायक का नाम नहीं आता है। उससे कहीं ना कहीं भाजपा असहज दिखाई दे रही है.. जिसका नतीजा ये है कि अब सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं बल्कि हरदा से मुकाबले के लिए केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतरना पड़ रहा है..मंत्री आकर सिर्फ और सिर्फ हरदा को निशाना बनाकर चले जा रहे हैं।अभी तक उत्तराखंड की राजनीति भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द दिखाई देती थी, लेकिन अब टक्कर में भाजपा और हरीश रावत दिखाई दे रहे हैं..जिस तरफ से भाजपा में हरीश रावत के नाम की माला जपी जा रही है, उसे देखकर यहीं लगता है

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कि उत्तराखंड भाजपा के लिए हरीश रावत एक पहाड़ सी चुनौती बने खड़े हैं, जिसे ना सिर्फ उ त्तराखंड की बीजेपी सरकार बल्कि केंद्रीय मंत्री भी लगातार गिराने की कोशिश कर रहे हैं।बीते दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उत्तराखंड दौरे पर थे और प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित पूर्व सीएम हरीश रावत का जिक्र कर उन्होंने अपने इस दौरे को पूरी तरह से सियासी रंग में रंग दिया. उनके निशाने पर कांग्रेस से ज्यादा पूर्व सीएम हरीश रावत थे. उन्होंने हरीश रावत पर एक के बाद एक लगातार कई हमले किए. डेनिस शराब, नमाज़ का मुद्दा, स्टिंग प्रकरण और तुष्टीकरण की राजनीति जैसे कई मुद्दों पर जमकर हरीश रावत पर निशाने साधे, यहां तक अमित शाह ने मंच से हरीश रावत को खुली बहस की चुनौती तक दे डाली..जिसे हरीश रावत ने स्वीकार भी की और कहा कि वो अकेले ही काफी हैं.जिस तरह से हरीश रावत भाजपा के निशाने पर उसके देख कहा जा सकता है कि बीजेपी हरीश रावत को किसी भी तरह से कमतर नहीं आंकना चाहती है. बदलते हालातों को देखकर यहीं लगता है कि भाजपा के निशाने पर सिर्फ हरीश रावत ना की कांग्रेस की फौज। कांग्रेस में सबसे सक्रिय भी हरीश रावत ही हैं. चाहे साक्षात हो या सोशल मीडिया…हरीश रावत हमेशा सक्रिय रहते हैं. और शायद यहीं वजह है कि अब हरदा और भाजपा की राजनीति का खेल देखने को मिल रही है.

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