उत्तराखंड में सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा इस बात का पता 10 मार्च को चलेगा। इसी तारीख को तय हो जाएगा कि उत्तराखंड की राजनीति में सबसे अधिक चर्चित रहने वाले नेताओं में से एक हरीश रावत का राजनीतिक भविष्य क्या होगा?
2022 का चुनाव हरीश रावत के सियासी कैरियर का अंतिम चुनाव माना जा रहा है। इस बार उन्होंने जमकर पसीना बहाया है। ठीक वैसे ही जैसे वो कभी अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर में बहाया करते थे। हालात ये रहे कि लालकुआं से टिकट मिलने के बाद वो लालकुआं के लगभग हर इलाके में गए और वहां जनसंपर्क किया।
उनके साथ ही हरीश चंद्र दुर्गापाल साए की तरह लगे रहे। चूंकि हरीश चंद्र दुर्गापाल को उम्मीद थी कि उनको कांग्रेस लालकुआं से टिकट देगी लिहाजा उन्होंने अपना होमवर्क किया हुआ था। लेकिन बाद में बदली रणनीति में कांग्रेस ने हरीश रावत को टिकट दे दिया। इसके बाद हरीश चंद्र दुर्गापाल ने अपना होमवर्क हरीश रावत के नाम कर दिया।
हरीश रावत के लिए लालकुआं का सियासी समर उनके चुनावी सफर का अंतिम पड़ाव हो सकता है। अगर कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो हरीश रावत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकते हैं और अगले पांच सालों के लिए सक्रिय राजनीति में बने रह सकते हैं। हालांकि अगर ऐसा हुआ कि कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाती है तो ऐसी स्थिती में हरीश रावत के लिए सक्रिय राजनीति के रास्ते धीरे धीरे बंद होने लगेंगे। 73 साल की उम्र में हरीश रावत के लिए 2022 के चुनावी कैंपेन में कांग्रेस की कमान संभालना आसान काम नहीं था लेकिन उन्होंने इसे कर दिखाया है। राज्य के हर हिस्से में वो अपनी सक्रियता दिखाते रहे। धारचुला से लेकर हरिद्वार तक उनका जनसंपर्क बना रहा।