नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से निपटने के लिए क्या तैयारियां हैं? साथ ही पूछा कि संदिग्ध डेल्टा वैरिएंट के जो तीन सौ सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, उनकी रिपोर्ट का क्या हुआ? सरकार को 18 अगस्त तक इसका जवाब देना है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने सरकार को टीकाकरण की रफ्तार एवं वैक्सीनेशन सेंटरों की संख्या बढ़ाने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायधीश न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में बुधवार को मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने आदेश दिए कि जो दिव्यांग टीकाकरण को नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके घर जाकर टीका लगाया जाए। साथ ही अफसरों को टीकाकरण की मॉनिटरिंग व्यक्तिगत रूप से करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव भी उपस्थित रहे।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में कुल 95 ब्लॉक हैं, जहां 54 एंबुलेंस हैं। 41 और एंबुलेंस की जरूरत है। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को डिमांड भेजी है। जिला अस्पतालों में मौजूद एंबुलेंस के बारे में सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया जा सका। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि प्रदेश में कोरोना से अभी तक कितनी मौतें हुई हैं? खंडपीठ ने सरकार को सभी बिंदुओं पर 18 अगस्त तक कोर्ट में विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए। इस मामले में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल सहित कई लोगों ने जनहित याचिकाएं दायर कर रखी हैं।