हाईकोर्ट ने 2010 में हरिद्वार में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद तत्कालीन विधायक मदन कौशिक को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि अभी तक पुस्तकालयों का संचालन नहीं हुआ है, जबकि सरकार की ओर से कहा गया कि पुस्तकालयों का संचालन 2019 में हो गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया था।
पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक की फाइनल पेमेंट कर दी गई थी लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया है। आरोप था कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि पुस्तकालय निर्माण की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दी गई थी और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट भी कर दी गई। याचिकाकर्ता ने पुस्तकालय के नाम पर हुए घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी।